Tuesday 25 September 2018

स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत को पांच राज्यों ने अस्वीकार कर दिया है. जिन पांच राज्यों ने आयुष्मान भारत को अस्वीकार किया है वे हैं ओडिशा, तेलंगाना, दिल्ली, केरल और पंजाब. योजना को अस्वीकार करने के पीछे उन्होंने अलग-अलग कारण दिए हैं. किसी का कहना है कि उसके पास आयुष्मान भारत से बेहतर स्वास्थ्य योजना है. वहीं, किसी ने केंद्र की योजना से असहमति जताते हुए उसे अस्वीकार कर दिया है. इन राज्यों का कहना है कि जब तक इस योजना के संबंध में उनकी चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया जाता, तब तक वे इसे लागू नहीं करेंगे. सरकार की बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना केन्द्र की आयुष्मान भारत योजना की अपेक्षा ज्यादा लोगों की मदद करती है. पटनायक ने कहा कि उनकी योजना में महिलाओं को सात लाख रुपये तक का बीमा मिलता है, जबकि केंद्र की योजना पांच लाख रुपये देती है. ओडिशा के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को सलाह देते हुए कहा कि वे अपना ध्यान तेल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में लगाएं. केरल ने भी आयुष्मान भारत योजना की आलोचना की है. इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में केरल के गृह मंत्री थॉमस7 इसाक ने योजना के औचित्य पर सवाल उठाते हुए इसे बड़ी धोखेबाजी करार दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कैसे इतने बड़े स्तर की योजना को लागू करेगी. उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 30,000 रुपये मिलते हैं जिसके लिए सालाना 1,250 रुपये देने होते हैं. आयुष्मान भारत में 1,110 रुपये के सालाना प्रीमियम में पांच लाख रुपये का हेल्थ कवर मिलेगा. क्या इतने कम प्रीमियम पर यह लाभ देना संभव है?’ उधर, तेलंगाना ने अपनी आरोग्यश्री योजना की वजह से केंद्र की योजना को खारिज कर दिया है. आरोग्यश्री योजना के तहत तेलंगाना के 70 प्रतिशत नागरिकों को हेल्थ कवर मिलता है, जबकि आयुष्मान भारत से केवल राज्य 80 लाख लोग लाभान्वित होते. रिपोर्टों के मुताबिक राज्य सरकार को यह भी लगता है कि आयुष्मान भारत योजना के कवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है जिससे आम चुनाव के समय भाजपा को ज्यादा लोकप्रियता मिलेगी. वहीं, दिल्ली की बात करें तो यहां आयुष्मान भारत को खारिज करने के लिए सरकार के पास पहले से कोई योजना नहीं है. उसने केंद्र की योजना से असहमति जताते हुए इसे अस्वीकार किया है. योजना के मुताबिक इससे दिल्ली के छह लाख परिवारों को फायदा मिलता जो यहां की जनसंख्या का मात्र तीन प्रतिशत है. दिल्ली की तरह पंजाब ने भी इसी तरह की वजहों का हवाला देकर योजना को लागू करने से इनकार कर दिया है.

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