Tuesday 30 October 2018

જીંદગીમાં જે વસ્તુ જરૂરિયાત કરતાં વધારે હોય તે ઝેર કહેવાય. ભલે પછી તે તાકાત હોય, ધન હોય, વિદ્યા હોય, ભૂખ હોય, લાલચ હોય, અભિમાન હોય, પ્રેમ હોય, પ્રસંશા હોય, નફરત હોય કે પછી અમૃત. “સમય” પણ શીખવે છે અને “શિક્ષક” પણ શીખવે છે,, બંને માં ફર્ક ફક્ત એજ છે કે,,,, “શિક્ષક” શીખવાડી ને પરિક્ષા લે છે... અને “સમય” પરિક્ષા લઇ ને શીખવે છે દરેક વસ્તુની કિંમત સમય આવે ત્યારે જ થાય ..... જુઓ ને, મફતમાં મળતો ઓક્સિજન હોસ્પિટલમાં કેવો વેચાય છે... "જીભ પરની ઈજા" સૌથી પહેલા રુઝાઈ છે, એવું મેડીકલ સાયન્સ કહે છે.। પણ. "જીભથી થયેલી ઈજા" જીવનભર રુઝાતી નથી એવું અનુભવ કહે છે ઈર્ષાળુ માણસ સાથે દોસ્તી ના કરવી અને દુશ્મની પણ ના કરવી કેમકે કોલસો ગરમ હોય તો હાથ બાળે અને ઠંડો હોય તો હાથ કાળા કરે.... વાત નાની છે પણ તેના અર્થ ખુબમોટા છે આખી જિંદગી બોજ ઉઠાવ્યો ખીલીએ અને લોકો વખાણ તસ્વીરના કરે છે !👌👌👌

Vallabhbhai Patel (31 October 1875 – 15 December 1950), popularly known as Sardar Patel, was the first Deputy Prime Minister of India. He was an Indian barrister and statesman, a senior leader of the Indian National Congress and a founding father of the Republic of India who played a leading role in the country's struggle for independence and guided its integration into a united, independent nation. In India and elsewhere, he was often called Sardar, Chief in Hindi, Urdu, and Persian. He acted as de facto Supreme Commander-in-chief of the Indian army during the political integration of India and the Indo-Pakistani War of 1947.

इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वे एक प्रभाव छोड़ गईं। श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म नेहरू ख़ानदान में हुआ था। इंदिरा गाँधी, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री थीं। आज इंदिरा गाँधी को सिर्फ़ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इंदिरा गाँधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्वराजनीति' के इतिहास में जानी जाती हैं और इंदिरा गाँधी को 'लौह-महिला' के नाम से संबोधित किया जाता है। ये भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं।

लग्जरी (यानी ऐश व इशरत ताऊस व रुबाब और असराफ़ ) वह दिमक है जो दुनिया की बड़ी-बड़ी तहजीब और हुकूमतों को खा चुके हैं रूम की सल्तनत हो या यूनान की बादशाहत चाहे हस्पानियाँ की रियासत हो7 या मुगल एंपायर फिर चाहे तुर्कों की शहंशाही दुनिया की बड़ी-बड़ी हुकूमतें इस लग्जरी आराम तलबी और सुस्ती की वजह से पेवन्द ख़ाक होकर इबारत का निशान बनी रोमन एंपायर 6 बर्रे आजमों पर फैला हुआ था लेकिन जब वहां लग्जरी लाइफ का दौर दौरा हुआ तो वहां जुल्म और नाइंसाफी भी शुरू हो गई और फिर एक दिन वह अजीम सल्तनत तारीख के कूड़ेदान का हिस्सा हो गई: सिकंदर ए आज़म की सल्तनत दुनिया के 51 मुल्कों पर कायम थी और उसने सिर्फ 10 सालों में आधी दुनिया को रौंद डाला था लेकिन जब हद से बढ़ी तो उसकी हुकूमत भी महज तारीख के काले पन्नों का एक हिस्सा बन के रह गई ईरान के बादशाह किसरा का हुकुम भी कमोबेश आधी दुनिया पर चलता था लेकिन लग्जरी लाइफ ने भी तारीख का जोहड़ बना कर रख दिया मुगलों ने भी भारत पर करीब 700 साल हुकूमत की लेकिन ऐश व इशरत और आपसी नाइत्तेफाकि ने उन्हें भी डूबा दिया भारत के आखरी हुकमरान जिनकी हुकूमत पहले ही दिल्ली से पालम तक सिमट चुकी थी और फिर महज किला तक महदूद रह गई थी अपनी उम्र7 के आखिरी घड़ियां रंगून के कैद खाने में गुजार दी और मरने के बाद भी उन्हें दिल्ली में 2 गज जमीन तक नसीब ना हो सकी मुसलमान अंदलुस और हस्पानियाँ पर फ़ख़्र करते हैं और बेशक उन्हें फखर करना चाहिए जब लंदन पेरिस और एमस्टरडम की गलियों में कीचड़ बहता था उस वक्त कुर्तबा शहर में ढाई लाख पक्के मकान 80400 दुकाने साफ-सुथरी और पक्की सड़कें और गलियां 1600 शानदार मस्जिद थे जब यूरोप ज़िंहालत के अंधेरे में डूबा हुआ था उस वक्त कुर्तबा की गलियों में चिराग जला करते थे लेकिन हस्पानियाँ के साइंस दौर पर तरक्कीयाफ्ता तालीम याफ्ता और मुहजजिब मुसलमानों का भी उनके लिए लग्जरी लाइफ से भरपूर ऐश व इशरत की जिंदगी ने बेड़ा गर्क कर दिया 28 फरवरी 1492 को अंदलुस का आखिरी बादशाह अबू अब्दुल्ला मोहम्मद ईसाई बादशाह फ्रेंडेड को कसर अल हमरा की चाभियाँ सौंप कर मराकश के शहर फैज चला गया और वहां उसने अपनी आखिरी उम्र भीख मांग मांग कर बसर की और सकूत हस्पानियाँ के ठीक 5 साल बाद 1497 में वहां एक भी मुसलमान बाकी ना बचा था जो रह गए थे उन्हें ईसाई बना दिया गया लेकिन फिर भी वह मोर कहलाते थे और एक 100 साल बाद उनका भी नामोनिशान मिटा दिया गया था :

महर्षि दयानन्द ने तत्कालीन समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों तथा अन्धविश्वासों और रूढियों-बुराइयों को दूर करने के लिए, निर्भय होकर उन पर आक्रमण किया।वे 'संन्यासी योद्धा' कहलाए। उन्होंने जन्मना जाति का विरोध किया तथा कर्म के आधार वेदानुकूल वर्ण-निर्धारण की बात कही। वे दलितोद्धार के पक्षधर थे। उन्होंने स्त्रियों की शिक्षा के लिए प्रबल आन्दोलन चलाया। उन्होंने बाल विवाह तथा सती प्रथा का निषेध किया तथा विधवा विवाह का समर्थन किया।

Sunday 28 October 2018

मुंबई उत्तर पश्चिम जिलाध्यक्ष अल्पसंख्यक विभाग श्री फिरोज खान ने मायनोरीटी डिपार्टमेंट की कार्यालय मे ऐम आई पटेल का सन्मान करते हुए उनके हाथों जिला के ऑफिस बेरर को नियुक्ति पत्र अर्पण किया और संगठन के विषय पर चर्चा किया।

मुंबई उत्तर पश्चिम जिलाध्यक्ष अल्पसंख्यक विभाग श्री फिरोज खान ने मायनोरीटी डिपार्टमेंट की कार्यालय मे ऐम आई पटेल का सन्मान करते हुए उनके हाथों जिला के ऑफिस बेरर को नियुक्ति पत्र अर्पण किया और संगठन के विषय पर चर्चा किया।

महाराष्ट्र मायनोरीटी ऐन जी ओ फेडरेशन के कोऑर्डिनेटर सतारा से श्री ईनामदार। पूनासे श्री चीकलकर। रायगढ जिला से श्री लांबे और अन्य महानुभाव ने ऐम आई पटेल की मुलाकात करके विचार-विमर्श किया। एक फ़िक़्र दे रहा हूँ। अच्छा लगे तो क़ुबूल कर लीजिएगा। अगर हम अपने दूसरे अल्पसंख्यक भाई जैसे सरदार, जैन और ईसाईयो की तरफ देखे तो पाएंगे की उन्होंने अपने हर तरफ स्कूल और कॉलेज खोल रखे हैं । फिर क्या वजह है मुसलमानो के इलाक़ो में ना तो अपने अच्छे स्कूल हैं और ना कॉलेज और ना ही अस्पताल। *सवाल 1: मुसलमानो के पास ज़मीन नही जिससे स्कूल कॉलेज और अस्पताल खोले जा सके ।* उत्तर : पूरे भारत में रेलवे और DRDO के बाद वक़्फ़ के पासu सबसे ज़्यादा ज़मीन है । *सवाल 2: मुसलमानो के पास पैसे नही है स्कूल खोलने के लिए ।* उत्तर : पूरे भारत में एक साल में करीब 40 हज़ार करोड़ ज़कात इकट्ठी होती है क्या आप हिसाब मांगते हैं जिसको अपनी ज़कात देतें है कि उसने कहा खर्च की ? सोचिये अगर एक ज़िले में उसका एक हज़ार करोड़ भी खर्च हो जाए तो कितने मदरसे, अस्पताल और स्कूल खुल जाएंगे । *सवाल 3: जब वक़्फ़ बोर्ड के पास इतनी ज़मीन है तो वक़्फ़ बोर्ड अस्पताल या स्कूल क्यों नही खोलता जिस इलाके में मुसलमान पिछड़े हुए हैं ?* उत्तर : जिस तरह हरयाणा वक़्फ़ बोर्ड ने Mewat Engineering College खोला और उसको खुद चला रहा है ठीक उसी तरह बाकी राज्यो के वक़्फ़ बोर्ड मुस्लिम इलाको में स्कूल कॉलेज खोलकर उनको खुद चला सकते हैं मगर ऐसा नही हो रहा। उनको अपने वजूद का खतरा महसूस होता है। इसके लिए सरकार या अपने नेताओं के भरोसे बैठने की बजाए हम लोगो को खुद पहल करनी होगी। अगर हम लोगो ने अपने तालीमी इदारे क़ायम नही किये तो हमारी आने वाली पीढियां मज़दूरी करेंगी।

पूरे भारत में करवा चौथ (Karwa chauth) मनाया जा रहा है. इस दौरान हिंदु धर्मी सभी शादीशुदा महिलाओं ने अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा है. करवा चौथ का व्रत निर्जला होता है. इस दिन चांद निकलने तक महिलाएं ना कुछ खा सकती हैं और ना पानी पी सकती हैं. इसी वजह से करवा चौथ के चांद का बड़ा बेसर्बी से इंतज़ार रहता है. भूखी-प्यासी महिलाएं शाम खत्म होते ही टकटकी लगाए चांद की राह देखती रहती हैं. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार इस साल सबसे पहले दार्जलिंग और कोलकाता में चांद निकलेगा. वहीं, 27 अक्टूबर को चतुर्थी तिथि का प्रारंभ शाम 6:37 मिनट पर होगा जो 28 अक्टूबर 04:54 मिनट तक रहेगी. इसके अलावा हर शहर में चांद निलकने का समय अलग रहेगा. यहां जानिए भारत के 50 शहरों में चांद निकलने का सही समय.

Thursday 25 October 2018

एक ख़ूबसूरत बाग़🌳🌲🎄🌴में फलों 🍎🍇🍐🍏से लचकती हुई हरीभरी शाख़ों वाला एक शानदार वृक्ष🎄था, इस बाग़ में एक आदमी👳‍♂बार बार घूमने आया करता था, उसको इस पेड़🎄के फल पसंद आ गए थे, वो हमेशा इस पेड़ के फलों को खाता और थोड़े से अपने साथ भी ले जाता...... इस पेड़🎄पे कई सारी डालियों के बीच एक बड़ी मज़बूत डाली थी जीस पर झ्यादा फल 🍇🍎🍐🍐होते थे, लेकिन ये डाली तक पहोंचने के लिए कुछ छोटी छोटी कमझोर डालियों को हटाना पड़ता था, जो उस आदमी की नझर में फ़ायदेमंद न थी.... एक दीन इस ने वो बड़ी डाली को काट🗡⚔🗡 लिया......ये सोच कर के एक बार ये डाली पूरी की पूरी मील जाए फिर आसानी से इसके फलों से फ़ायदा उठाया जा सकता है....और वो छोटी डालियों के हटाने की जेहमत भी ख़त्म..... लेकिन होना क्या था? कुछ ही समय में वो हरीभरी मज़बूत डाली अहिस्ता अहिस्ता सुख ने लगी और जो फल उस पर थे वो भी सड़ कर ख़त्म हो गए.....और कोई नया फल आने की गुंजाईश भी ना रही उस डाली को पेड़🎄से जूदा करने की बदौलत.. आख़िरकार डाली कूड़े🛢के हवाले हुई...वो ना ख़ुद भी फ़ायदा हासिल कर सका, और ना ही दूसरों को कर ने दिया.... इसी तरह अगर किसी व्यक्ति को उसके दोस्त ऐहबाब और परिवार, क़बीले या समाज से जुदा कर दिया जाए, तो उसकी सलाहियतें अहिस्ता अहिस्ता ख़त्म जाती है, वो टूट कर बिखर जाता है...💔 जैसे उस डाली को अपने अस्तित्व के लिए पेड़ और अन्य डालियों की झरूरत रहती है, वैसे आदमी को आगे बढ़ने और कामियाब होने के लिए अपने दोस्त ऐहबाब और परिवार💞की झरूरत रहती....अकेले में चाहे वो कितना ही ख़ुशहाल नझर आए......लेकिन परखने वाली उसके अपनो की नझर उसकी आँखो में छुपी गहरी उदासी पढ़ लेती है.... If you can’t be a bridge n connect ppl....don’t at least be a wall n separate them🌺🌺🌺.

Laminating Property Documents & Other Certificates Most of us are tempted to get the documents laminated so as to preserve them. Here's a communication received from a friend which should open our eyes to the dangers of laminating valuable papers like land documents. "We had our property documents laminated for their safe keeping. This was years ago. Recently we tried for a bank loan by mortgaging the property docs. At the final stage of verification of original documents, the Bank Lawyer flatly refused even to look at the documents saying that they are laminated. The reason being that, since they are laminated, the original documents cannot be differentiated from the colour photocopies. Appears, it was a hard learned truth as the Bank was duped by the colour photocopies of the original documents, duly laminated and presented. We were asked to get the documents de-laminated ! else forego the loan. The concept of de-laminating was something like "OMG, Is it possible ?" to us. We started searching those who can de - laminate documents. The internet gave us the address of one at Lahore in Pakistan. That apart, we got another person in Bangalore who quoted Rs 3500 per document, with 20 documents on hand, we were looking at cool 70 K for de -lamination. We were about to be robbed. At last we could find some one at Mysore who agreed for Rs 500 per paper. We rushed to Mysore from Bangalore, got them done. The whole experience has left us with lot of knowledge. We have a lesson here. Pl do not laminate the original property documents. The Banks will not touch them. No loans can be taken on them. Even the buyers would hesitate at the time of sales. Further, Please be careful while receiving such laminated documents in a transaction. Whilst browsing, I have also come across where the people have run into Visa problems while submitting the laminated mark sheets, degree certificates." Do pass it to other friends too.....

एक शख़्स ने यूरोप में इस्लाम क़बूल किया। उस से पूछा गया, के इस्लाम की कौन सी बात ने तुम्हे मोतासिर किया ?? उस ने कहा, "सिर्फ़ एक वाक़ीया ने मुझे हिदायत का सबब बना दिया।" उस ने कहा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वस्सल्लम की मजलिस लगी है। सारे लोग बैठे हैं एक आदमी उठ कर कहता है। या रसूल्लल्लाह (स.अ.व.) मेरा बेटा तीन दिन से लापता है। आप दुआ कर दीजिये के मेरा बेटा मिल जाए। अभी हुज़ूर दुआ करने वाले ही थे के, एक दूसरा आदमी जो पहले से वहां बैठा था। उस ने कहा, या रसूल्लल्लाह (स.अ.व.) मैं इस के बेटे को पहचानता हूँ। फ्ला बाग़ में अभी अभी खेलते देखा है। बाप ने जैसे ही सुना तो दौड़ लगा दी। हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, बुलाओ उसे और पूछा बहत जल्दी है ?? उस ने कहा, या हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम । वो बेटा है मेरा। तीन दिन से बिछड़ा हुआ है। माँ भी उस की परेशान है। तीन दिन से कुछ खाया पिया नहीं है। सोंचा जल्द मिल जाए तो उसकी माँ से भी मिलवा दूँ । हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, बहुत ख़ूब। पर सुनो तुम्हे बुलाने की एक ख़ास वजह थी । पूछा हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम बतायें क्या वजह है ?? हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, जब तुम्हें तुम्हारा बेटा मिल जाए, तो उसे "बेटा" कह कर न बुलाना। बल्कि उसका नाम जो तुमने रखा है उसे लेकर पुकारना। उस ने कहा, जी हुज़ूर पर वो मेरा बेटा है। अगर बेटा कह कर पुकार लिया तो हर्ज़ क्या है ?? हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, तुम तीन दिन से बिछड़े हो। तुम्हारे लक़ब में ज़बरदस्त मिठास होगी। और हो सकता है, खेलने वाले बच्चे में कोई यतीम बच्चा भी खेल रहा हो। और जब तुम अपने बेटे को बेटा कह कर पुकारोगे, तो उस का कलेजा कट जाएगा। के काश आज मेरा बाप भी ज़िंदा होता, तो मुझे भी ऐसे ही बेटा कह कर पुकारता। फ़रमाया तुम अपना शोक घर जा कर पूरा कर लेना। लेकिन जब बच्चे एक साथ खेल रहे हो तो उन्हें बेटा न कहना नाम लेकर पुकारना । तो ये है इस्लाम का मिजाज़, जो कहता है विधवा बेवा के सामने अपनी बीवी को प्यार मत करो। ग़रीब के सामने अपनी दौलत की नुमाईश दखावा न करो। बल्कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने यहां तक फ़रमाया, अपने घर में पक रहे गोश्त की खुशबु से अपने ग़रीब पड़ोसी को तक़लीफ़ न दें। बल्कि पानी ज्यादा डाल दें। और शोरबे की एक प्याली ग़रीब पडोसी के घर भी भेज दीजिये। अगर ऐसा नहीं कर सकते, तो ऐसे वक़्त में खाना पकाओ जब ग़रीब पड़ोसी के बच्चे सो जाए। क्यों की उन्हों ने अगर ज़िद कर ली तो उनके आंसू कौन पोछेगा?? ये है इस्लाम। और उन की तालिमात। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने यहां तक फ़रमाया, "धरती पर बेहतरीन घर वो है, जिस में अनाथ यतीम की इज़्ज़त की जाए।।"

एक शख़्स ने यूरोप में इस्लाम क़बूल किया। उस से पूछा गया, के इस्लाम की कौन सी बात ने तुम्हे मोतासिर किया ?? उस ने कहा, "सिर्फ़ एक वाक़ीया ने मुझे हिदायत का सबब बना दिया।" उस ने कहा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वस्सल्लम की मजलिस लगी है। सारे लोग बैठे हैं एक आदमी उठ कर कहता है। या रसूल्लल्लाह (स.अ.व.) मेरा बेटा तीन दिन से लापता है। आप दुआ कर दीजिये के मेरा बेटा मिल जाए। अभी हुज़ूर दुआ करने वाले ही थे के, एक दूसरा आदमी जो पहले से वहां बैठा था। उस ने कहा, या रसूल्लल्लाह (स.अ.व.) मैं इस के बेटे को पहचानता हूँ। फ्ला बाग़ में अभी अभी खेलते देखा है। बाप ने जैसे ही सुना तो दौड़ लगा दी। हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, बुलाओ उसे और पूछा बहत जल्दी है ?? उस ने कहा, या हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम । वो बेटा है मेरा। तीन दिन से बिछड़ा हुआ है। माँ भी उस की परेशान है। तीन दिन से कुछ खाया पिया नहीं है। सोंचा जल्द मिल जाए तो उसकी माँ से भी मिलवा दूँ । हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, बहुत ख़ूब। पर सुनो तुम्हे बुलाने की एक ख़ास वजह थी । पूछा हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम बतायें क्या वजह है ?? हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, जब तुम्हें तुम्हारा बेटा मिल जाए, तो उसे "बेटा" कह कर न बुलाना। बल्कि उसका नाम जो तुमने रखा है उसे लेकर पुकारना। उस ने कहा, जी हुज़ूर पर वो मेरा बेटा है। अगर बेटा कह कर पुकार लिया तो हर्ज़ क्या है ?? हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, तुम तीन दिन से बिछड़े हो। तुम्हारे लक़ब में ज़बरदस्त मिठास होगी। और हो सकता है, खेलने वाले बच्चे में कोई यतीम बच्चा भी खेल रहा हो। और जब तुम अपने बेटे को बेटा कह कर पुकारोगे, तो उस का कलेजा कट जाएगा। के काश आज मेरा बाप भी ज़िंदा होता, तो मुझे भी ऐसे ही बेटा कह कर पुकारता। फ़रमाया तुम अपना शोक घर जा कर पूरा कर लेना। लेकिन जब बच्चे एक साथ खेल रहे हो तो उन्हें बेटा न कहना नाम लेकर पुकारना । तो ये है इस्लाम का मिजाज़, जो कहता है विधवा बेवा के सामने अपनी बीवी को प्यार मत करो। ग़रीब के सामने अपनी दौलत की नुमाईश दखावा न करो। बल्कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने यहां तक फ़रमाया, अपने घर में पक रहे गोश्त की खुशबु से अपने ग़रीब पड़ोसी को तक़लीफ़ न दें। बल्कि पानी ज्यादा डाल दें। और शोरबे की एक प्याली ग़रीब पडोसी के घर भी भेज दीजिये। अगर ऐसा नहीं कर सकते, तो ऐसे वक़्त में खाना पकाओ जब ग़रीब पड़ोसी के बच्चे सो जाए। क्यों की उन्हों ने अगर ज़िद कर ली तो उनके आंसू कौन पोछेगा?? ये है इस्लाम। और उन की तालिमात। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने यहां तक फ़रमाया, "धरती पर बेहतरीन घर वो है, जिस में अनाथ यतीम की इज़्ज़त की जाए।।"

Shabana Shaikh newly appointed Secretary of Mumbai Congress minority department met M.I.Patel in Goregaon Office Mumbai and discussed about her NGO and party organisation.

Wednesday 24 October 2018

टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफ़ाबाद) (बंगलौर से लगभग 33 (21 मील) किमी उत्तर मे) हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फ़क़रुन्निसा था। उनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सैनापति थे जो अपनी ताकत से 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने। टीपू को मैसूर के शेर के रूप में जाना जाता है। योग्य शासक के अलावा टीपू एक विद्वान, कुशल़॰य़ोग़य सैनापति और कवि भी थे। टीपू सुल्तान ने हिंदू मन्दिरों को तोहफ़े पेश किए। मेलकोट के मन्दिर में सोने और चांदी के बर्तन है, जिनके शिलालेख बताते हैं कि ये टीपू ने भेंट किए थे। ने कलाले के लक्ष्मीकान्त मन्दिर को चार रजत कप भेंटस्वरूप दिए थे। 1782 और 1799 के बीच, टीपू सुल्तान ने अपनी जागीर के मन्दिरों को 34 दान के सनद जारी किए। इनमें से कई को चांदी और सोने की थाली के तोहफे पेश किए। ननजनगुड के श्रीकान्तेश्वर मन्दिर में टीपू का दिया हुअ एक रत्न-जड़ित कप है। ननजनगुड के ही ननजुनदेश्वर मन्दिर को टीपू ने एक हरा-सा शिवलिंग भेंट किया। श्रीरंगपटना के रंगनाथ मन्दिर को टीपू ने सात चांदी के कप और एक रजत कपूर-ज्वालिक पेश किया। 18 वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में हैदर अली का देहावसान एवं टीपू सुल्तान का राज्यरोहन मैसूर कि एक प्रमुख घटना है टीपू सुल्तान के आगमन के साथ ही अंग्रेजों कि साम्राज्यवादी नीति पर जबरदस्त आधात पहुँचा जहाँ एक ओर कम्पनी सरकार अपने नवजात ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के लिए प्रयत्नशील थी तो दूसरी ओर टीपू अपनी वीरता एवं कुटनीतिज्ञता के बल पर मैसूर कि सुरक्षा के लिए दृढ़ प्रतिज्ञा था वस्तुत:18 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में टीपू एक ऐसा महान शासक था जिसने अंग्रेजों को भारत से निकालने का प्रयत्न किया। अपने पिता हैदर अली के पश्चात 1782 में टीपू सुल्तान मैसूर की गद्दी पर बैठा।

Advice from the great scholar Imam Ibn al-Qayyim (rahimahullah): A friend will not (literally) share your struggles, and a loved one cannot physically take away your pain, and a close one will not stay up the night on your behalf. So look after yourself, protect yourself, nurture yourself and don’t give life’s events more than what they are really worth. Know for certain that when you break no one will heal you except you, and when you are defeated no one will give you victory except your determination. Your ability to stand up again and carry on is your responsibility. Do not look for your self worth in the eyes of people; look for your worth from within your conscience. If your conscience is at peace then you will ascend high and if you truly know yourself then what is said about you won’t harm you. Do not carry the worries of this life because this is for Allah. And do not carry the worries of sustenance because it is from Allah. And do not carry the anxiety for the future because it is in the Hands of Allah. Carry one thing: How to Please Allah. Because if you please Him, He Pleases you, fulfils you and enriches you. Do not weep from a life that made your heart weep. Just say, “Oh Allah compensate me with good in this life and the hereafter.” Sadness departs with a Sajdah (prostration). Happiness comes with a sincere Du’a (supplication). Allah Does Not forget the good you do. nor Does He Forget the good you did to others and the pain you relieved them from. Nor Will He Forget the eye which was about to cry but you made it laugh. Live your life with this principle: Be good even if you don’t receive good, not because for other’s sake but because Allah Loves those who do good Poem on reflections of the Dunya/worldly life.

महर्षि वाल्मीकि का मूल नाम रत्नाकर था एक भीलनी ने बचपन में इनका अपहरण कर लिया और भील समाज में इनका लालन पालन हुआ। भील परिवार के लोग जंगल के रास्ते से गुजरने वालों को लूट लिया करते थे। रत्नाकर ने भी परिवार के साथ डकैती और लूटपाट का काम करना शुरू कर दिया। ऐसे रत्नाकर बने डाकू से महर्षि वाल्मीकि एक दिन संयोगवश नारद मुनि जंगल में उसी रास्ते गुजर रहे थे जहां रत्नाकर रहते थे। डाकू रत्नाकर ने नारद मुनि को पकड़ लिया। इस घटना के बाद डाकू रत्नाकर के जीवन में ऐसा बदलाव आया कि वह डाकू से महर्षि बन गए। दरअसल जब वाल्मीकि ने नारद मुनि को बंदी बनाया तो नारद मुनि ने कहा कि, तुम जो यह पाप कर्म करके परिवार का पालन कर रहे हो क्या उसके भागीदार तुम्हारे परिवार के लोग बनेंगे, जरा उनसे पूछ लो। वाल्मीकि को विश्वास था कि सभी उनके साथ पाप में बराबर के भागीदार बनेंगे, लेकिन जब सभी ने कहा कि नहीं, अपने पाप के भागीदार तो केवल तुम ही बनोगे तो वाल्मीकि का संसार से मोह भंग हो गया।

बहादुर शाह जफर का जन्म 24 अक्तूबर, 1775 में हुआ था। उनके पिता अकबर शाह द्वितीय और मां लालबाई थीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद जफर को 18 सितंबर, 1837 में मुगल बादशाह बनाया गया। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जफर को भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। उनके पुत्रों और प्रपौत्रों को ब्रिटिश अधिकारियों ने सरेआम गोलियों से भून डाला। यही नहीं, उन्हें बंदी बनाकर रंगून ले जाया गया, जहां उन्होंने सात नवंबर, 1862 में एक बंदी के रूप में दम तोड़ा। उन्हें रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया। उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है। आज भी कोई देशप्रेमी व्यक्ति जब तत्कालीन बर्मा (म्यंमार) की यात्रा करता है तो वह जफर की मजार पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देना नहीं भूलता। लोगों के दिल में उनके लिए कितना सम्मान था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान में जहां कई जगह सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। बांग्लादेश के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है। 1857 में जब हिंदुस्तान की आजादी की चिंगारी भड़की तो सभी विद्रोही सैनिकों और राजा-महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना और उनके नेतृत्व में अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी। अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय सैनिकों की बगावत को देख बहादुर शाह जफर का भी गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने अंग्रेजों को हिंदुस्तान से खदेड़ने का आह्वान कर डाला। भारतीयों ने दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में अंग्रेजों को कड़ी शिकस्त दी। शुरुआती परिणाम हिंदुस्तानी योद्धाओं के पक्ष में रहे, लेकिन बाद में अंग्रेजों के छल-कपट के चलते प्रथम स्वाधीनता संग्राम का रुख बदल गया और अंग्रेज बगावत को दबाने में कामयाब हो गए। बहादुर शाह जफर ने हुमायूं के मकबरे में शरण ली, लेकिन मेजर हडस ने उन्हें उनके बेटे मिर्जा मुगल और खिजर सुल्तान व पोते अबू बकर के साथ पकड़ लिया। अंग्रेजों ने जुल्म की सभी हदें पार कर दीं। जब बहादुर शाह जफर को भूख लगी तो अंग्रेज उनके सामने थाली में परोसकर उनके बेटों के सिर ले आए। उन्होंने अंग्रेजों को जवाब दिया कि हिंदुस्तान के बेटे देश के लिए सिर कुर्बान कर अपने बाप के पास इसी अंदाज में आया करते हैं। आजादी के लिए हुई बगावत को पूरी तरह खत्म करने के मकसद से अंग्रेजों ने अंतिम मुगल बादशाह को देश से निर्वासित कर रंगून भेज दिया।

Tuesday 23 October 2018

आज शरद पूर्णिमा है। यह रात कई मायने में महत्वपूर्ण है। जहां इसे शरद ऋतु की शुरुआत माना जाता है, वहीं माना जाता है कि इस रात को चंद्रमा संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और अपनी चांदनी में अमृत बरसाता है। इसी वजह से लोग इस पूरी रात्रि को खीर बनाकर चांदनी में रख देते हैं,सुबह स्नान करके खाने के बाद निरोग हो पाएं। यह मान्यता प्रचलित है।

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है।

पुलिस स्मरण दिवस के महत्व के बारे में सीआरपीएफ की बहादुरी का एक किस्सा है, गौरतलब है कि आज से 55 वर्ष पहले 21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख में तीसरी बटालियन की एक कम्पनी को भारत - तिब्बत सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में ‘हाट-स्प्रिंग‘ में तैनात किया गया था। कम्पनी को टुकड़ियों में बांटकर चौकसी करने को कहा गया। जब बल के 21 जवानों का गश्ती दल ‘हाट-स्प्रिंग‘ में गश्त कर रहा था। तभी चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते ने इस गश्ती टुकड़ी पर घात लगाकर आक्रमण कर दिया। तब बल के मात्र 21 जवानों ने चीनी आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया। मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए 10 शूरवीर जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। हमारे बल के लिए व हम सबके लिए यह गौरव की बात है कि केन्द्रीय रिजर्व पुलिउस बल के इन बहादुर जवानों के बलिदान को देश के सभी केन्द्रीय पुलिस संगठनों व सभी राज्यों की सिविल पुलिस द्वारा ‘‘पुलिस स्मरण दिवस‘‘ मनाया जाता है।

Monday 22 October 2018

ऐम आई पटेल के राजस्थान दौरे पर चित्तौड़गढ जिला के सांवा सरपंच हाजी उस्मान खान साहब और अन्य महानुभावो ने स्वागत किया और वर्तमान माहौल पर विचार विमर्श किया।

मुंबई के मलाड पश्चिम मे वरषाटाईल चेरीटेबल ट्रस्ट का विविधलक्षी कार्यक्रम की समाप्ति पर ऐम आई पटेल को केक खिलाकर कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए ट्रस्ट के चेयरमैन श्री उमेश खंडेलवाल और जाहेदा शेख।

Free Astrologer advise shibir organise by NGO Varsatile Charitable Trust at Bajaj Hall Malad West Mumbai. M I Patel and other dignitaries seen in the picture.

Saturday 20 October 2018

गोरेगांव तालुका कोंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग की ओर से आयोजित शानदार जनसभा मे मुख्य अतिथि विधायक श्री असलम शेख। ईस जनसभा मे अपना वक्तव्य देते हुए ऐम आई पटेल। मंच पर श्रीमती माधवीताई राणे। जिलाध्यक्ष अल्पसंख्यक विभाग श्री फिरोज खान। श्री अननु मलबारी। श्रीमती हुमेरा खान। श्री महंमद हनिफभाई। श्री सज्जाद खान। श्री देवेंद्र तिवारी। श्री सलीम चौधरी। श्री कदीर वोरा और अन्य महानुभाव उपस्थित थे। तालुका कोंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष श्री शफीक मुनशी ने आभार व्यक्त किया। तयबा कमिटी और अल्पसंख्यक विभाग के युवा कार्यकर्ताओका शानदार प्रोग्राम आयोजित करनेपर अभिनंदन किया।

महाराष्ट्र के विधायक और अल्पसंख्यक मामलों के और वस्त्र उद्योग मंत्रालय के पूर्व मंत्री श्री महंमद आरिफ नसीम खान को जन्मदिन की हार्दिक बधाई देते हुए ऐम आई पटेल। दुआओं के साथ।

M I Patel and Shri Sunil Koli and Shri Chetan Kosanbia attended Multi purpose free consultation programme organised by Shri Umeshbhai and his team Ms.Zahed. Ms.Mazithiya. Ms.Khandelval and other devotees of NGO Malad West Mumbai.

गोरेगांव तालुका कोंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग की ओर से आयोजित शानदार जनसभा मे मुख्य अतिथि विधायक श्री असलम शेख। ऐम आई पटेल। श्रीमती माधवीताई राणे। जिलाध्यक्ष अल्पसंख्यक विभाग श्री फिरोज खान। श्री अननु मलबारी। श्रीमती हुमेरा खान। श्री महंमद हनिफभाई। श्री सज्जाद खान। श्री देवेंद्र तिवारी। श्री सलीम चौधरी। श्री कदीर वोरा और अन्य महानुभाव उपस्थित थे। तालुका कोंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष श्री शफीक मुनशी ने आभार व्यक्त किया। तयबा कमिटी और अल्पसंख्यक विभाग के युवा कार्यकर्ताओका शानदार प्रोग्राम आयोजित करनेपर अभिनंदन किया।

Friday 19 October 2018

अमृतसर ट्रैन हादसे में 50 से अधिक लोगों के मृत्यु की जानकारी बेहद दुःखद एंव दुर्भाग्यपूर्ण है। ईश्वर दिवगंत आत्माओं को शांति प्रदान करें साथ ही इस कठिन समय में शोकाकुल परिजनों को दुख सहने की शक्ति दे। ह्रदयविदारक घटना में घायल हुए लोगों के जल्द स्वस्थ लाभ की कामना करता हूँ। Indian National Congress

अमृतसर ट्रैन हादसे में 50 से अधिक लोगों के मृत्यु की जानकारी बेहद दुःखद एंव दुर्भाग्यपूर्ण है। ईश्वर दिवगंत आत्माओं को शांति प्रदान करें साथ ही इस कठिन समय में शोकाकुल परिजनों को दुख सहने की शक्ति दे। ह्रदयविदारक घटना में घायल हुए लोगों के जल्द स्वस्थ लाभ की कामना करता हूँ। Indian National Congress

Many many happy returns of the day Happy birthday former Minister for Minority affairs and Textile Shri Mohmmed Arif Naseem Khan ji. Allah bless you and your family.

गोरेगांव तालुका कोंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष श्री शफीक मुनशी की कार्यालय का उदघाटन प्रसंग मुंबई उत्तर पश्चिम जिला कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के पदाधिकारीयो को नियुक्ति पत्र अर्पण करते हुए ऐम आई पटेल और उत्तर पश्चिम कोग्रेस अल्पसंख्यक विभाग जिलाध्यक्ष श्री फिरोज खान।

श्री उमेश खंडेलवाल और उनकी टीम की ओर से आयोजित मुफ्त चिकित्सा शिविर पर सेवा प्रदान कर रहे डॉक्टर्स के साथ ऐम आई पटेल और अन्य महानुभाव।

दशहरा के शुभ अवसर पर आयोजित समारोह मे लिलीया नगर गोरेगांव पश्चिम मुंबई मुख्य अतिथि महाराष्ट्र सरकारकी राज्य मंत्री श्रीमती विद्या ठाकुरजी और श्री जयप्रकाश ठाकुरजी की उपस्थिति मे लिलीया नगर रहिवासीयो की ओर से ऐम आई पटेल का जाहिर सन्मान किया गया। ईस मौकेपर लिलीया नगर वेलफेर एसोसिएशन के पदाधिकारी और सभी सोसायटी के मेंबर्स और अन्य महानुभाव उपस्थित थे।

Thursday 18 October 2018

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमति शोभा ओझा जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई हार्दिक शुभकामनाएं.....

वरषाटाईल चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित मुफ्त चिकित्सा शिविर पर विस्तृत माहिती लेते हुए ऐम आई पटेल और अन्य महानुभाव। मलाड पश्चिम मुंबई।

वरषाटाईल चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित मुफ्त चिकित्सा शिविर पर विस्तृत माहिती लेते हुए ऐम आई पटेल और अन्य महानुभाव। मलाड पश्चिम मुंबई।

दशहरा के शुभ अवसर पर आयोजित समारोह मे लिलीया नगर गोरेगांव पश्चिम मुंबई मुख्य अतिथि महाराष्ट्र सरकारकी राज्य मंत्री श्रीमती विद्या ठाकुरजी और श्री जयप्रकाश ठाकुरजी की उपस्थिति मे लिलीया नगर रहिवासीयो की ओर से ऐम आई पटेल का जाहिर सन्मान किया गया। ईस मौकेपर लिलीया नगर वेलफेर एसोसिएशन के पदाधिकारी और सभी सोसायटी के मेंबर्स और अन्य महानुभाव उपस्थित थे।

दशहरा के शुभ अवसर पर आयोजित समारोह मे लिलीया नगर गोरेगांव पश्चिम मुंबई मुख्य अतिथि महाराष्ट्र सरकारकी राज्य मंत्री श्रीमती विद्या ठाकुरजी और श्री जयप्रकाश ठाकुरजी की उपस्थिति मे लिलीया नगर रहिवासीयो की ओर से ऐम आई पटेल का जाहिर सन्मान किया गया। ईस मौकेपर लिलीया नगर वेलफेर एसोसिएशन के पदाधिकारी और सभी सोसायटी के मेंबर्स और अन्य महानुभाव उपस्थित थे।

Tuesday 16 October 2018

पूर्व राष्ट्रपति डो.ऐ पी जे अब्दुल कलाम अपनी प्रेरक बातों को लेकर आज भी लोगों के दिल और दिमाग में जिंदा हैं। अगर ये कहा जाए कि कलाम साहब की सबसे बड़ी विरासत भारतीयों की वे पीढ़ियां हैं, जिन्हें उन्होंने सपने देखने, उत्कृष्ट प्रदर्शन करने और आगे बढ़ने का सपना दिखाया था, तो गलत नहीं होगा। वहीं उनकी संपत्ति की भी काफी चर्चा रही है। जानते हैं आखिरी वक्त में उनके पास कितनी संपत्ति थी- आम जिंदगी में बेहद सीधे और सरल रहे कलाम की संपत्ति ना के बराबर थी और उनकी जायदाद में कोई भी ऐसी चीज नहीं है जिसपर विवाद या दावेदारी की जा सके। कलाम साहब के पास आखिरी वक्त में कोई खास संपत्ति नहीं थी। अगर सामान की बात करें तो उनके पास फ्रिज, टीवी, कार और एसी भी नहीं था। उनके पास संपत्ति के रूप में थी 2500 किताबें, एक घड़ी, 6 शर्ट, चार पैंट, तीन सूट और एक जोड़ी जूते। आज बंद होगा आपका Debit-Credit Card, सामने आई बड़ी वजह उन्होंने कभी लग्जरी तरीके से जीवन-यापन नहीं किया। वे अपनी किताबों की रॉयल्टी और अपनी पेंशन के सहारे अपना जीवन यापन करते थे। बता दें कि उन्होंने चार किताबें लिखी थीं। हालांकि उनकी बचत को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। साथ ही वो कार्यकाल पूरे होने के बाद भी अपने घर कोई निजी गिफ्ट नहीं लेकर गए थे और उन्हें सरकारी खजाने में जमा करवा दिया था। कलाम के मीडिया एडवाइजर रहे एसएम खान ने बताया था कि उनके क्वार्टर पर उनके पास टीवी नहीं था और वो अखबार और रेडियो से समाचार सुनते थे।

पूर्व राष्ट्रपति डो.ऐ पी जे अब्दुल कलाम अपनी प्रेरक बातों को लेकर आज भी लोगों के दिल और दिमाग में जिंदा हैं। अगर ये कहा जाए कि कलाम साहब की सबसे बड़ी विरासत भारतीयों की वे पीढ़ियां हैं, जिन्हें उन्होंने सपने देखने, उत्कृष्ट प्रदर्शन करने और आगे बढ़ने का सपना दिखाया था, तो गलत नहीं होगा। वहीं उनकी संपत्ति की भी काफी चर्चा रही है। जानते हैं आखिरी वक्त में उनके पास कितनी संपत्ति थी- आम जिंदगी में बेहद सीधे और सरल रहे कलाम की संपत्ति ना के बराबर थी और उनकी जायदाद में कोई भी ऐसी चीज नहीं है जिसपर विवाद या दावेदारी की जा सके। कलाम साहब के पास आखिरी वक्त में कोई खास संपत्ति नहीं थी। अगर सामान की बात करें तो उनके पास फ्रिज, टीवी, कार और एसी भी नहीं था। उनके पास संपत्ति के रूप में थी 2500 किताबें, एक घड़ी, 6 शर्ट, चार पैंट, तीन सूट और एक जोड़ी जूते। आज बंद होगा आपका Debit-Credit Card, सामने आई बड़ी वजह उन्होंने कभी लग्जरी तरीके से जीवन-यापन नहीं किया। वे अपनी किताबों की रॉयल्टी और अपनी पेंशन के सहारे अपना जीवन यापन करते थे। बता दें कि उन्होंने चार किताबें लिखी थीं। हालांकि उनकी बचत को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। साथ ही वो कार्यकाल पूरे होने के बाद भी अपने घर कोई निजी गिफ्ट नहीं लेकर गए थे और उन्हें सरकारी खजाने में जमा करवा दिया था। कलाम के मीडिया एडवाइजर रहे एसएम खान ने बताया था कि उनके क्वार्टर पर उनके पास टीवी नहीं था और वो अखबार और रेडियो से समाचार सुनते थे।