Sunday 28 October 2018

महाराष्ट्र मायनोरीटी ऐन जी ओ फेडरेशन के कोऑर्डिनेटर सतारा से श्री ईनामदार। पूनासे श्री चीकलकर। रायगढ जिला से श्री लांबे और अन्य महानुभाव ने ऐम आई पटेल की मुलाकात करके विचार-विमर्श किया। एक फ़िक़्र दे रहा हूँ। अच्छा लगे तो क़ुबूल कर लीजिएगा। अगर हम अपने दूसरे अल्पसंख्यक भाई जैसे सरदार, जैन और ईसाईयो की तरफ देखे तो पाएंगे की उन्होंने अपने हर तरफ स्कूल और कॉलेज खोल रखे हैं । फिर क्या वजह है मुसलमानो के इलाक़ो में ना तो अपने अच्छे स्कूल हैं और ना कॉलेज और ना ही अस्पताल। *सवाल 1: मुसलमानो के पास ज़मीन नही जिससे स्कूल कॉलेज और अस्पताल खोले जा सके ।* उत्तर : पूरे भारत में रेलवे और DRDO के बाद वक़्फ़ के पासu सबसे ज़्यादा ज़मीन है । *सवाल 2: मुसलमानो के पास पैसे नही है स्कूल खोलने के लिए ।* उत्तर : पूरे भारत में एक साल में करीब 40 हज़ार करोड़ ज़कात इकट्ठी होती है क्या आप हिसाब मांगते हैं जिसको अपनी ज़कात देतें है कि उसने कहा खर्च की ? सोचिये अगर एक ज़िले में उसका एक हज़ार करोड़ भी खर्च हो जाए तो कितने मदरसे, अस्पताल और स्कूल खुल जाएंगे । *सवाल 3: जब वक़्फ़ बोर्ड के पास इतनी ज़मीन है तो वक़्फ़ बोर्ड अस्पताल या स्कूल क्यों नही खोलता जिस इलाके में मुसलमान पिछड़े हुए हैं ?* उत्तर : जिस तरह हरयाणा वक़्फ़ बोर्ड ने Mewat Engineering College खोला और उसको खुद चला रहा है ठीक उसी तरह बाकी राज्यो के वक़्फ़ बोर्ड मुस्लिम इलाको में स्कूल कॉलेज खोलकर उनको खुद चला सकते हैं मगर ऐसा नही हो रहा। उनको अपने वजूद का खतरा महसूस होता है। इसके लिए सरकार या अपने नेताओं के भरोसे बैठने की बजाए हम लोगो को खुद पहल करनी होगी। अगर हम लोगो ने अपने तालीमी इदारे क़ायम नही किये तो हमारी आने वाली पीढियां मज़दूरी करेंगी।

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