Tuesday 12 September 2017

*एक बादशाह की आदत थी, कि वह भेष बदलकर आवाम की खैर-खबर लिया था,एक दिन अपने वजीर के साथ गुजरते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी गिरा पड़ा हैl* *बादशाह ने उसको हिलाकर देखा तो वह मर चुका था !* *लोग उसके पास से गुजर कर जा रहे थे बादशाह ने लोगों को आवाज दी लेकिन लोग बादशाह को पहचान ना सके और पूछा क्या बात है बादशाह ने कहा इस को किसी ने क्यों नहीं उठाया लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान है बादशाह ने कहा क्या यह "उम्मत ए रसूल" नहीं है क्या यह ,और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी उसकी बीवी ने खाविंद की लाश देखी तो रोने लगी बादशाह और उसका वजीर वही औरत का रोना सुनते रहे औरत कह रही थी मैं गवाही देती हूं मेरा शौहर अल्लाह का वली है और नेक लोगों में से है इस बात पर बादशाह को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा यह कैसे हो सकता है लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे और तो और इसकी लाश को हाथ लगाने को भी तैयार ना थे,* *उसकी बीवी ने कहा मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी दरअसल हकीकत यह है कि मेरा शौहर हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ मुसलमानों से हल्का हुआ उसी रात इसी तरह एक बुरी औरत यानी वेश्या के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर ले कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता अल* *हमदुलिल्लाह आज मैं उस औरत का और नौजवान मुसलमानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे मैं खाविंद से कहती थी याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हें नहलाने तक नहीं आएंगे ,ना तुम्हारी नमाज-ए-जनाजा पढ़ाएंगे और ना तुम्हें दफनायेंगे वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी कि मेरा जनाजा वक्त का बादशाह उलेमा और अवलिया पढ़ाएंगे यह सुनकर बादशाह रो पड़ा और कहने लगा मैं बादशाह हूं, कल हम इसको नहलायेंगे भी अब इसकी नमाज-ए-जनाजा भी पढ़ाएंगे और इसकी मैय्यत भी हम दफ्न करवाएंगेl* *जनाजा बादशाह उलेमा औलिया और बहुत सारे अवाम ने पढ़ा !* *आज हम बज़ाहिर कुछ देखकर या महज दूसरों से कुछ सुनकर अहम फैसले कर बैठते हैं अगर हम दूसरों के दिलों के भेद जान जाएं तो हमारी ज़बाने गूंगी हो जाएं खुदारा किसी को गलत समझने से पहले देख लिया करें कि वह ऐसा है भी कि नहीं .l* अच्छा लगे तो शेअर करना।।।।

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