Saturday 23 September 2017

सुप्रभात *कोई भी मनुष्य किस बात को,* *किस प्रकार से समझता है।* *यह उसकी मानसिकता तय करती है।* *कोई दूसरों की थाली में से भी,* *छीन कर खाने में अपनी शान समझता है।* *तो कोई अपनी थाली में से दूसरों को,* *निवाले खिला कर संतुष्ट होता है।* *सारा खेल संस्कारों, समझ,* *और मानसिकता का है।* *लेकिन एक बात तो तयशुदा है कि छीन कर,* *खाने वालों का कभी पेट नहीं भरता।* *और बाँट कर खाने वाले,* *कभी भी भूखे नहीं रहते।* *अच्छे इन्सान* की सबसे *पहली* और सबसे *आखिरी निशानी* ये हैं कि वो उन लोगों की भी *इज्जत करता है*, जिनसे उसे *किसी किस्म* के *फायदे की उम्मीद* नही होती..!! 🐚🌼🐚 🐾 *स्नेह वंदन* 🐾 🌹🌹🌹🌹🌹 😊🍀🙏 * 🍁 *आपका दिन मंगलमय हो*🍁 🌹 🌹🙏🙏🙏🌹

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