Sunday 24 September 2017

मुंबई के मेयर श्री आर टी कदम की अध्यक्षता मे एक कार्यक्रम मे संबोधित करते हुए ऐम आई पटेल ।।। ऐक शायर की व्यथा उनकेही शबदोमे ।।।। ✏ *जिस में आग भी है* *घीरज भी है* *सहनशीलता भी है* *अपने आप को घीरे घीरे* *जलाकर अपने को* *सुगंधित करने की* *ताकत भी है*..! *दर्द कागज़ पर,* *मेरा बिकता रहा,* *मैं बैचैन था,* *रातभर लिखता रहा..* *छू रहे थे सब,* *बुलंदियाँ आसमान की,* *मैं सितारों के बीच,* *चाँद की तरह छिपता रहा..* *दरख़्त होता तो,* *कब का टूट गया होता,* *मैं था नाज़ुक डाली,* *जो सबके आगे झुकता रहा..* *बदले यहाँ लोगों ने,* *रंग अपने-अपने ढंग से,* *रंग मेरा भी निखरा पर,* *मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा..* *जिनको जल्दी थी,* *वो बढ़ चले मंज़िल की ओर,* *मैं समन्दर से राज,* *गहराई के सीखता रहा..!!* ■ 🌹🌹

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