Sunday 30 April 2017

दिल के टूटने पर भी हँसना, शायद "जिन्दादिली" इसी को कहते हैं। # ठोकर लगने पर भी मंजिल के लिए भटकना, शायद "तलाश" इसी को कहते हैं। # सूने खंडहर में भी बिना तेल के दिये जलाना, शायद "उम्मीद" इसी को कहते हैं। # टूट कर चाहने पर भी उसे न पा सकना, शायद "चाहत" इसी को कहते हैं। # गिरकर भी फिर से खडे हो जाना, शायद "हिम्मत" इसी को कहते हैं.!! # "जिंदादिली","तलाश","उम्मीद","चाहत","हिम्मत", शायद "जिन्दगी" इसी को कहते हैं .!!

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