Friday 7 April 2017

जैन मुनिराज ऐम आई पटेलका सम्मान कर रहे है। जिहाद का वास्तविक अर्थ होता है “संघर्ष करना”…. अक्सर हमारे नोंनमुस्लिम भाइयों में यह ग़लतफहमी पायी जाती है के वो जिहाद जैसे शब्द का तथाकथित लोगों से अलग अलग अर्थ समझकर मुसलमानों के अमन के पैगाम को ठुकरा देते है, आईये आज इसका सही मूल्य जानने की कोशिश करते है… » जिहाद: अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष करना” , “जद्दो जेहद करना”. इसका मूल शब्द जहद है, जिसका अर्थ होता है “संघर्ष”. ये अरबी भाषा में हर प्रकार के संघर्ष के लिए उपयोग होता है. जिहाद का अर्थ किसी की जान लेना, क़त्ल करना या किसी बेगुनाह को मारना नही है. जिहाद एक पवित्र शब्द एवं कर्म है जिसे इस्लाम को न समझने वाले व्यक्तियों ने तोड़मरोड़ के पेश किया. कई लोग जिहाद का अर्थ पवित्र युद्ध समझते हैं जो सरासर गलत है, क्योंकि युद्ध के लिए अरबी भाषा में अलग शब्द “गजवा” या “मगाजी” उपयोग होता है. इस्लाम के शुरुवाती दिनों में मक्का के अन्न्याई मुशरिकीनो ने जब अमन का मुहायदा (शांति सन्देश) तोडा और मुस्लिमों का जीना दुश्वार कर दिया, तब इन्हे अपने हक के लिए जिहाद का हुक्म हुआ. जिहाद के दो किस्मे है – १. जिहाद अल-अकबर (बड़ा जिहाद) – जिहाद अल-अकबर बड़ा जिहाद है जिसका मतलब होता है इन्सान खुद अपने अन्दर की बुराईयों लढ़े, अपने बुरे व्यवहार को अच्छाई में बदलने की कोशिश करे, अपनी बुरी सोचो और बुरी ख्वाहिशो को कुचल कर एक अच्छा और आस्थिक इन्सान बने. इस जिहाद को अल्लाह ने कुरान में जिहाद अल-अकबर यानी सबसे बड़ा जिहाद कहा है. २. जिहाद अल असग़र (छोटा जिहाद) – जिहाद अल-असग़र का उद्देश्य समाज में फैली बुरायिओं के खिलाफ संघर्ष (जद्दो जेहद) करना होता है. जब समाज में ज़ुल्म बढ़ जाये, बुराई अच्छाई पर हावी होने लग जाये, अच्छाई बुराई के आगे हार मानने लग जाये, हक पर चलने वालो को ज़ुल्म व सितम सहन करना पड़े तो उसको रोकने की कोशिश (जद्दो जेहद) कर��

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