Sunday 23 April 2017

पूरे तीन साल भारतीय मीडीयाने आपको व्यस्त रख कर आम आदमी के बुनियादी सवालों को गायब कर दिया गया ! अब ज़रा गौर करो *क्या इन तीन सालों में* कभी आपने टीवी पर सरकारी शिक्षा के गिरते स्तर पर बहस देखीं हैं? *क्या इन तीन सालों में*कभी आपने ग्रामीण भारत में आज भी हो रहे बाल विवाह की समस्या पर "एक्सपर्ट्स की कोई टीम टीवी पर देखी है? *क्या इन तीन सालों में*कभी आपको सड़को पर भीख मांगते और भूख से बिलखते बच्चों के पीछे लगा कोई मीडिया कैमरा देखा है? *क्या इन तीन सालों में*कभी आपने नालों फुटपाथों पर जिंदगी को कूडे के ढेर की तरह ढोते हुए लोगों के लिए किसी को चिल्लाते हुए देखा है? *क्या इन तीन सालों में*कभी आपने आत्महत्या करते किसानों के बारे में किसी को सहानुभूति जताते हुए देखा है? *क्या इन तीन सालों में* कभी आपने बेरोजगारी की मार झेल रहे नौजवानों के हक में किसी को बात करते हुए देखा है? *क्या इन तीन सालों में* कभी आपने कुपोषण से शिकार महिलाओं एवं बच्चों के लिए क्या किया जाए जिससे ये कमी दूर हो सके इस पर बात होते हुए सुना है ? *क्या इन तीन सालों में* हायर एजुकेशन वाले बच्चों के स्कॉलरशिप के बारे में कोई बहस होते हुए सुना है ?जिससे गरीब बच्चों को सहायता मिल सके? *क्या इन तीन सालों में* कभी आपने मीडिया में जेलों में बंद बेगुनाह नौजवानों की रिहाई के बारे में बहस करते हुए देखा है? मीडिया व्यर्थ के मुद्दों पर व्यस्त *"समान नागरिक संहिता"* तैयार है *कुछ सप्ताह तीन तलाक* पर बहस करके अपने राष्ट्रवाद पर इतरा सकते हो तो ठीक है, अगर इस मुद्दे को ज्यादा ना चला सको तो फासीवाद की फैक्ट्री में अगला "एपिसोड" बनकर तैयार होगा। *आखिर हम कब तक*इन मुद्दों पर चर्चा करते रहेंगे. जिस का देश और आम जनता को कोई फायदा नहीं। *आखिर हम कब तक*अपनी नाकामी को छुपाने की साजिश रचने वालों का शिकार होते रहेंगे।

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