Saturday 10 November 2018

मंज़िल से बढ़कर मंज़िल तलाश कर मिल जाए तुझको दरिया तो समुन्दर तलाश कर हर शीशा टूट जाता है पत्थर की चोट से पत्थर ही टूट जाऐ वो शीशा तलाश कर सजदों से तेरे क्या हुआ सदियां गुज़र गईं दुनिया तेरी बदल दे वो सजदा तलाश कर ईंमान तेरा टूटा गया रहबर के हाथों से ईमान तेरा बचा ले वो रहबर तलाश कर हर शख्स जल रहा है अदावत की आग में इस आग को बुझा दे वो पानी तलाश कर करे सवार ऊंट पे अपने गुलाम को पैदल ही खुद चले वो आका तलाश कर ।।

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