Saturday 24 June 2017

जैन समाज की तरफसे श्री प्रशान्त झावेरी ऐम आई पटेल का सम्मान कर रहे है। एक आदमी रात को झोपड़ी में बैठकर एक छोटे से दीये को जलाकर कोई शास्त्र पढ़ रहा था । आधी रात बीत गई जब वह थक गया तो फूंक मार कर उसने दीया बुझा दिया । लेकिन वह यह देख कर हैरान हो गया कि जब तक दीया जल रहा था, पूर्णिमा का चांद बाहर खड़ा रहा । लेकिन जैसे ही दीया बुझ गया तो चांद की किरणें उस कमरे में फैल गई । वह आदमी बहुत हैरान हुआ यह देख कर कि एक छोटे से दीए ने इतने बड़े चांद को बाहर रोेक कर रक्खा । इसी तरह हमने भी अपने जीवन में अहंकार के बहुत छोटे-छोटे दीए जला रखे हैं जिसके कारण परमात्मा का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है । जबतक वाणी को विश्राम नहीं दोगे तबतक मन शांत नहीं होगा। मन शांत होगा तभी ईश्वर की उपस्थिति महसूस होगी ।.....

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