Sunday, 2 July 2017
हिम्मते मरदा तो मददै खुदा।।।।।। जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये। वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी। उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी। उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था। मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ? क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ? वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ? हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये -- बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर को जा लगा। शेर मर गया और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया। *हमारे जीवन में भी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब कुछ पल ऐसे आते है, जब हम शुन्य हो कर, सब कुछ नियती के हाथो में छोड देते हैं, जैसे उस हिरनी ने किया।* *जो पहली प्राथमिकता वो करो। जैसे हिरनी ने शावक को जन्म दिया।* अपने आप से पूछें ? आप कहां केन्द्रित हैं ? आप का विश्वास और उम्मीद किस से है ? ईश्वर आप के साथ हैं और आपको निराश नहीं करेंगे। अच्छा लगे तो अवश्य शेअर करे।
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