Wednesday, 19 July 2017
ये बड़ी विड़बना है आज का दौर बदल गया है और सोच इस दौर की है । इस दौर के नया भगवान है मीडिया। कभी हम विचार करते है ये सोशल मीडिया या टेलीविज़न मीडिया हम को कितना सत्य खबरें देती है। खबरों को दिखने से पहले या खबरों को छापने से पहले क्या खबर की जांच होती है। क्या गलत खबर देखने पर या छापने पर क्या मीडिया को सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए। इतिहास की गलत जानकारी देना भी ये धोखाधड़ी है। इस गलत खबरों से समाज पर या आने वाली पीढ़ियों पर क्या अशर होगा क्या कभी हम यह जाना चाहते है। आने वाली पीढ़ी और समाज इन गलत बातों से क्या संदेश लेगा ? छोटी छोटी घटना घटित होती है राजनीति के नाम पर और ये घटना असल में घटित की जाती है जिस के माध्यम से एक नयी जंग का एलान किया जा सके और उसे राजनीतिक फायदा मिलेगा राजनीतिक दलो को और उनके आकाओं को। जनता इन घटनाओं को बिना सोचे समझे इनके तत्वों की पूरी जानकारी लिए बिना एक दूसरे को पहुंचने काम में लग जाती है। ये एक बहुत ही ख़तरनाक बात है किसी भी राष्ट्र के लिए। किसी भी राष्ट्र का हित और अनहित उस राष्ट्र के लोगों की सोच पर निर्भर होता है। ऐसे में यदि गलत बातों से राष्ट्र निर्माण की बात सोचे तो कितना अहित हो सकता है। उस राष्ट्र के नेताओं के बारे में गलत जानकारी फैलाना या इतिहास को तोरोड मरोड़ के पेश करना यह कितना घातक साबित हो सकता है। इन दिनों जवाहरलाल नेहरू जी को लेकर कई नयी जानकारियाँ सोशल मीडिया द्वारा प्रकाशित की जाती है। देश के पहले प्रधान मंत्री के बारे में गलत जानकारी दे कर किस भी तरह से बदनाम किया जा रहा है। सवाल यह उटा है क्या अब फिर नेहरू जी चुनाव लड़ने आने वाले है ? या किसी को यह असंखा है की वह फिर जीवित हो उठे गए ? या उनको बदनाम कर गाँधी नेहरू वंश को राजनीति से बहार रखा जा सकता है। कई प्रकार की बातें हो सकती है पर इसे तो नुकसान देश को ही होगा। देश के आज़ादी दिलाने वाले क्रांति कारियो और उन नेताओं को अपमानित करना नहीं होगा इन गलता खबरों यह गलत जानकारी माध्यम से ? आज ये परंपरा हम मिला कर बना रहे है। काल कोई और होगा इतिहास को तोड़ने वाला और कुछ बुरी बातों को जोड़ने वाला होगा। क्या हम सब की ये नैतिक जिमेवारी नहीं बनती है की हम सब मिल कर ऐसी होने वाली बातों को रोके। यदि आज इस को रोकने की सुर वात नहीं की तो काल कोई हमारे इतिहास बदल देगा और हमारे गौरव को ठेस लग सकती है। आओ हम सब मिल कर इसे रोके। राणा संग्राम सिंह।
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