Wednesday, 26 July 2017

‼🙌‼ *मनुष्य की चाल धन से भी बदलती* *है और* *धर्म से भी बदलती है..* *जब धन संपन्न होता है तब अकड़* *कर चलता है जब धर्म संपन्न होता है..!!* *तो विनम्र होकर चलता है..* *मनुष्य वास्तविक पूंजी धन नही, बल्कि* *उसके विचार हैं क्यों कि धन तो खरीदारी में* *दूसरों के पास चला जाता है पर विचार अपने* *पास ही रहते हैं..!!* *जिंदगी भले छोटी देना मेरे परवरदिगार... *मगर देना ऐसी -*, *कि सदियों तक लोगो के दिलों मे -* *जिंदा रहूँ और हमेशा अच्छे कर्म कर सकूं..!!* *🌹😊🙏🏻सुप्रभात🙏🏻😊 🌹*

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