Sunday 16 October 2016

*बाबा फरीद ने पंजाबी में क्या खूब कहा है* - वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली, *(कबर)* मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली; *(लाश)* मिट्टी हस्से मिट्टी रोवे, *(इंसान)* अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे *(जिस्म)* ना कर बन्दया मेरी मेरी, *(पैसा)* ना ऐह तेरी ना ऐह मेरी; *(खाली जाना)* चार दिना दा मेला दुनिया, *(उम्र)* फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढेरी; *(मौत)* ना कर एत्थे हेरा फेरी, *(पैसे कारन झुठ, धोखे)* मिट्टी नाल ना धोखा कर तू, *(लोका नाल फरेब)* तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी; *(इंसान)* जात पात दी गल ना कर तू, जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी, *(पाखंड)* *जात सिर्फ खुदा दी उच्ची,* *बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी*।

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