Wednesday 4 July 2012


ख्याल अपना-अपना
4 Jul 2012, 0100 hrs ISTसामाजिक प्राणी होने के नाते मनुष्य वैसा बनना चाहता है जैसा कि उसका समाज होता है, लेकिन शायद वही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो दूसरों से अलग होना चाहता है।...
27 Jun 2012, 0900 hrs ISTजहां बहुत से नेता हैं, सभी अपने को पंडित मानने वाले अहंकारी हैं और सब अपनी बड़ाई चाहते हैं, वह समाज नष्ट हो जाता है...
27 Jun 2012, 0900 hrs ISTहर किसी के भीतर खुद को ताकतवर या विजेता समझने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है। शायद इसलिए कि मानव जाति ने कई स्तरों पर लड़कर ही सभ्य जीवन हासिल किया है।...
20 Jun 2012, 0900 hrs ISTकई बार किसी गली से गुजरते हुए लगता है हम उस शहर की किसी गली से गुजर रहे हैं, जिसमें पहले रहा करते थे। इसी तरह जब हम किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो उसकी...
13 Jun 2012, 0900 hrs ISTहम किसी को सजते-संवरते देखते हैं, तो सोचते हैं कि वह दूसरे को अपनी ओर आकृष्ट करना चाहता है। यह बात एक हद तक सही है। हम दूसरों की नजर में अच्छा दिखना...
9 Jun 2012, 0400 hrs ISTआज-कल नया सत्र शुरू होते ही स्टेशनरी और किताबों की दुकानों पर जबर्दस्त भीड़ हो जाती है। कभी-कभी तो मां-बाप को वहां घंटे भर तक लाइन में ही खड़े रह...
6 Jun 2012, 0900 hrs ISTइंसान की फितरत है कि वह अकेला नहीं रह सकता। अकेले पड़ने का डर उसे हमेशा सताता रहता है। यह भय अचेतन में इस कदर मजबूती से जमा होता है कि हम अक्सर वह कर...
30 May 2012, 0900 hrs ISTहर दौर में समाज में सफलता का एक निश्चित पैमाना होता है। हम उसी पर लोगों को कसने के आदी हो जाते हैं। लेकिन ज्यों ही कोई उन्हीं पैमानों पर सफल होता है,...
23 May 2012, 0900 hrs ISTसफल होने के लिए जरूरी है कि हम हमेशा आगे की तरफ देखते रहें और भविष्य के बारे में सोचें। विकसित देश तो पचास वर्ष आगे तक की योजना तैयार करके रखते हैं।...
21 May 2012, 0900 hrs ISTक्या दुनिया की ऊर्जा संबंधी समस्याओं का सबसे बेहतर हल न्यूक्लियर एनर्जी में ही है? इस सवाल के जवाब में मैं यह कहता हूं कि हां यह संभव है, बशर्ते ईंधन...

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