Sunday 5 November 2017

वरिष्ठ लोयर और विश्व गुजराती परिषद के अध्यक्ष श्री कृष्णकांत वखारियाजी के साथ ऐम आई पटेल ।।।।। PIL: जनहित में हिट जनहित से जुड़े व्यापक महत्व के मुद्दों को हल करने में जनहित याचिका यानी पीआईएल एक कारगर हथियार है। आरटीआई आने के बाद से यह हथियार और भी धारदार हुआ है। जानना जरूरी है सीरीज की आखिरी किस्त में पीआईएल पर पूरी जानकारी दे रहे हैं क्या है PIL (जनहित याचिका) देशके हर नागरिक को संविधान कीओर सेछहमूलअधिकार दिए गए हैं।येहैं : समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, संस्कृति और शिक्षा का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता काअधिकार और मूलअधिकार पाने का रास्ता। अगर किसी नागरिक (आमआदमी) के किसीभी मूल अधिकार का हनन हो रहा है, तो वह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मूल अधिकार की रक्षा के लिए गुहार लगा सकता है।वहअनुच्छेद-226 के तहत हाई कोर्ट का और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट खटा सकताहै। अगर यह मामला निजी न होकर व्यापकजनहित से जुड़ा है तो याचिका को जनहित याचिका के तौर पर देखा जाता है।पी आई एल डालने वाले शख्स को अदालत को यह बताना होगा कि कैसे उस मामले में आम लोगों का हित प्रभावित हो रहा है। अगर मामला निजीहित से जुड़ा है या निजीतौर पर किसी के अधिकारों का हनन हो रहा है तो उसे जनहित याचिका नहीं माना जाता।ऐसे मामलों में दायर की गई याचिका को पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन कहा जाता है और इसी के तहत उनकी सुनवाई होती है। दायर की गई याचिका जनहित है या नहीं, इसका फैसला कोर्ट ही करता है। पी आई एल में सरकार को प्रतिवादी बनाया जाताहै।सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सरकार को उचित निर्देश जारी करती हैं।यानी पी आई एल के जरिए लोग जनहित के मामलों में सरकार को अदालत से निदेर्श जारी करवा सकते हैं। कहां दाखिल होती है PIL पी आई एल हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट में दायर की जा सकती हैं।इस से नीचे की अदालतों में पी आई एल दाखिल नहीं होती। कोई भी पी आई एल आमतौर पर पहले हाईकोर्ट में ही दाखिल की जाती है।वहां से अर्जी खारिज होने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा या जाता है। कई बार मामला व्यापक जनहित से जुड़ा होताहै।ऐसे में सुप्रीमकोर्ट सीधे भी पीआईएल परअनुच्छेद-32 के तहत सुनवाई करतीहै। कैसे दाखिल करें PIL लेटर के जरिये अगर कोई शख्स आम आदमी से जुड़े मामले में हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट को लेटर लिखता है, तो कोर्ट देखता है कि क्या मामला वाकई आम आदमी के हित से जुड़ाहै।अगर ऐसा है तो उस लेटर को ही पीआईएल के तौर पर लिया जाता है और सुनवाई होती है। लेटर में यह बताया जाना जरूरी है कि मामला कैसे जनहित से जुड़ा है और याचिका में जो भी मुद्दे उठाए गए हैं, उनके हक में पुख्ता सबूत क्या हैं।अगर कोई सबूत है तो उसकी कॉपी भी लेटर के साथ लगा सकते हैं। लेटर जनहित याचिका में तब्दील होने के बाद संबंधित पक्षों को नोटिस जारी होता है और याचिकाकर्ता को भी कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाता है। सुनवाई के दौरान अगर याचिकाकर्ता के पास वकील न हो तो कोर्ट वकील मुहैया करा सकती है। लेटर हाईकोर्ट के चीफजस्टिस के नाम लिखा जा सकता है।सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम भी यह लेटर लिखा जा सकता है।लेटर हिंदी या अंग्रेजी में लिख सकते हैं।यह हाथ से लिखा भी हो सकता है औ रटाइप किया हुआ भी।लेटर डाक से भेजा जा सकता है। जिस हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामला है, उसीको लेटर लिखा जाता है।लिखने वाला कहां रहता है, इससे कोई मतलब नहीं है।

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