Thursday 29 September 2016

धन तभी सार्थक है, जब *धर्म* भी साथ हो। *विशिष्टता* तभी सार्थक है, जब *शिष्टता* भी साथ हो। *सुंदरता* तभी सार्थक है, जब *चरित्र* भी शुद्ध हो। *संपत्ति* तभी सार्थक है, जब *स्वास्थ्य* भी अच्छा है। अच्छा *व्यापार* तभी सार्थक है, जब *व्यवहार* भी अच्छा हो। *ज्ञानी* होना तभी सार्थक है, जब *सरलता* भी साथ हो। *प्रसिद्धि* तभी सार्थक है, जब मन में *निरअहंकारिता* हो। *बुद्धिमता* तभी सार्थक है, जब *विवेक* भी साथ हो। *अतिथि* बनकर जाना तभी सार्थक है, जब वहां *सत्कार* हो। *परिवार* का होना तभी सार्थक है, जब उसमें *प्यार* और आदर हो। *रिश्ते* तभी तक सार्थक है, जब तक आपस में *विश्वाश*हो

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