Monday 26 September 2016

"कठोर किंतु सत्य" 👉🏽1- माचिस किसी दूसरी चीज को जलाने से पहले खुद को जलाती हैं..! *गुस्सा* भी एक माचिस की तरह है..! यह दुसरो को बरबाद करने से पहले खुद को बरबाद करता है... 👉🏽2- आज का कठोर व कङवा सत्य !! चार *रिश्तेदार* एक दिशा में तब ही चलते हैं , जब पांचवा कंधे पर हो... 👉🏽3- कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए मगर, नल को देखकर कीचड़ में नही जाना चाहिए, इसी प्रकार... जिन्दगी में *बुरा समय* आ जाये तो... पैसों का उपयोग करना चाहिए मगर... पैसों को देखकर बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए... 👉🏽4- रिश्तों की बगिया में एक *रिश्ता* नीम के पेड़ जैसा भी रखना, जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर तकलीफ में मरहम भी बनता है... 👉🏽5- *परिवर्तन* से डरना और *संघर्ष* से कतराना, मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है... 👉🏽6- जीवन का सबसे बड़ा गुरु *वक्त* होता है, क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सीखा सकता... 👉🏽7- बहुत ही सुन्दर वर्णन है- *मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए....*अभिमान मर जाएगा *आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए.....*पत्थर दिल पिघल जाएगा *दांतों को आराम देकर देखिए.........*स्वास्थ्य सुधर जाएगा *जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए.....*क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा *इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए......*खुशियों का संसार नज़र आएगा... 8- पूरी *जिंदगी* हम इसी बात में गुजार देते हैं कि .."चार लोग क्या कहेंगे", और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि *" ...................... है"

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