Friday 6 January 2017

Meeting with Formar Law Minister of India Mr.Ramakant Khalap. परिचय भारतीय संविधान हर नागरिक को कुछ मूल अधिकार देता है जो उसे सरकार के मनमाने और अन्यायपूर्ण कार्यों के खिलाफ संरक्षण देते हैं और उसके लिए गरिमापूर्ण जीवन की परिस्थितियां बनाते हैं । अपने मूल अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए , आप सीधे उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायलय में जा सकते हैं , जबकि दूसरे मामलों में आप पहले निचली अदालतों में मामला दायर करते हैं और वहां के फैसलों के खिलाफ अपील करते हुए ही बड़ी अदालतों तक पहुंचते हैं । भारतीय संविधान में मूल अधिकारों की संरक्षा का कार्य उच्चतम न्यायालय को सौंपा गया है । मूल अधिकार अत्यंतिक अधिकार नहीं है। इन अधिकारों पर, आवश्यकता पड़ने पर सार्वजनिक हित में, निर्बंधन लगाए जा सकते हैं। किसी भी सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति और समाज , दोनों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि नागरिक अधिकारों पर निर्बंध लगाए जाएं। मूल अधिकारों के प्रकार 1.मूल अधिकारों के प्रकार समता का अधिकार (14, 15, 16, 17,18) 2.स्वतंत्रता का अधिकार (19) 3.अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (20) 4.प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण (21) 5.बंदीकरण एवं निरोध के विरुद्ध संवैधानिक संरक्षण (22) 6.शोषण के विरुद्ध अधिकार (23, 24) 7.धर्म- स्वतंत्रता का अधिकार (25, 26, 27, 28) 8. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (29, 30) 9.संवैधानिक उपचारों का अधिकार (32, 33, 34, 35) समता का अधिकार समता का अधिकार राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। (1) राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर- (क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश या (ख) पूर्णत: या भगत: राज्य निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग, के संबंध में किसी निर्योग्यता, दायित्व, निर्बंधन या शर्त के अधीन नहीं होगा। (3) अनुच्छेद 15 की कोई बात राज्य को स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी । (4) अनुच्छेद 15 की या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी । स्वतंत्रता का अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार (क) वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति- स्वातंत्र्य का अधिकार, (ख) शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का अधिकार, (ग) संगम या संघ बनाने का अधिकार, (घ) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का अधिकार, (ड़) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का अधिकार, (छ) कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार। 20-अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण- (1) कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए तब तक सिद्धदोष नहीं ठहराया जायेगा जब तक कि उसने ऐसा कोई कार्य करने के समय, जो अपराध के रुप में आरोपित है, किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण नहीं किया है या उससे अधिक शास्ति का भागी नहीं होगा जो उस अपराध के लिए किए जाने के समय प्रवृत्त विधि के अधीन अधिरोपित की जा सकती थी । (2) किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जायेगा। (3 ) किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा। 21- प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण- किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जायेगा, अन्यथा नहीं। अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (1) कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए तब तक सिद्धदोष नहीं ठहराया जायेगा जब तक कि उसने ऐसा कोई कार्य करने के समय, जो अपराध के रुप में आरोपित है, किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण नहीं किया है या उससे अधिक शास्ति का भागी नहीं होगा जो उस अपराध के लिए किए जाने के समय प्रवृत्त विधि के अधीन अधिरोपित की जा सकती थी । (2) किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जायेगा। (3 ) किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा। प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जायेगा, अन्यथा नहीं। 21क- शिक्षा का अधिकार- राज्य, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले सभी बालकों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का ऐसी रीति में, जो राज्य विधि द्वारा, अवधारित करे, उपबंध करेगा । (3) खंड (1) और खंड (2) की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होगी जो- (क) तत्समय शत्रु अन्यदेशीय है, या (ख) निवारक निरोध का उपबंध करने वाली किसी विधि के अधीन गिरफ्तार या निरुद्ध किया गया है । (4) निवारक निरोध का उपबंध करने वाली कोई विधि किसी व्यक्ति का तीन मास से अधिक अवधि केलिए तब तक निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नहीं करेगी जब तक कि- (क) ऐसे व्यक्तियों से, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं या न्यायाधीश रहे हैं या न्यायाधीश नियुक्त होने की योग्यता रखते हैं , मिलकर बने सलाहकार बोर्ड ने तीन मास की उक्त अवधि की समाप्ति से पहले यह प्रतिवेदन नहीं दिया है कि उसकी राय में ऐसे निरोध के लिए पर्याप्त कारण हैं: परंतु इस उपखंड की कोई बात किसी व्यक्ति का उस अधिकतम अवधि से अधिक अवधि के लिए निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नहीं करेगी जो खंड (7) के उपखंड (ख) के अधीन संसद द्वारा बनायी गयी विधि द्वारा विहित की गयी है, या (ख) ऐसे व्यक्ति को खंड (7) के उपखंड (क) और उपखंड (ख) के अधीन संसद द्वारा बनाई गयी विधि के उपबंधों के अनुसार निरुद्ध नहीं किया जाता है । (5) निवारक निरोध का उपबंध करने वाली किसी विधि के अधीन किए गये आदेश के अनुसरण में जब किसी व्यक्ति को निरुद्ध किया जाता है तब आदेश करने वाला प्राधिकारी यथाशीघ्र उस व्यक्ति को यह संसूचित करेगा कि वह आदेश किन आधारों पर दिया गया है और उस आदेश के विरुद्ध अभ्यावेदन करने के लिए उसे यथाशीघ्र अवसर देगा । (6) खंड (5) की किसी बात से ऐसा आदेश, जो उस खंड में निर्दिष्ट है, करने वाले प्राधिकारी के लिए ऐसे तथ्यों को प्रकट करना आवश्यक नहीं होगा जिन्हें प्रकट करना ऐसा प्राधिकारी लोकहित के विरुद्ध समझता है । (7) संसद विधि द्वारा विहित कर सकेगी कि- (क) किन परिस्थितियों के अधीन और किस वर्ग या वर्गों के मामलों में किसी व्यक्ति को निवारक निरोध का उपबंध करने वाली किसी विधि के अधीन तीन मास से अधिक अवधि के लिए खंड (4) के उपखंड (क) के उपबंधों के अनुसार सलाहकार बोर्ड की राय प्राप्त किए बिना निरुद्ध किया जा सकेगा। (ख) किसी वर्ग या वर्गों के मामलों में किसी व्यक्ति को निवारक निरोध का उपबंध करने वाली किसी विधि के अधीन निरुद्ध किया जा सकेगा, और (ग) खंड (4) के उपखंड (क) के अधीन की जाने वाली जांच में सलाहकार बोर्ड द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया क्या होगी ।

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