Monday 30 November 2015

ना मुसलमान खतरे में है, ना हिन्दू खतरे में है धर्म और मज़हब से बँटता इंसान खतरे में है।। ना राम खतरे में है, ना रहमान खतरे में है सियासत की भेट चढ़ता भाईचारा खतरे में है।। ना कुरआन खतरे में है, ना गीता खतरे में है नफरत की दलीलों से इन किताबो का ज्ञान खतरे में है।। ना मस्जिद खतरे में है, ना मंदिर खतरे में है सत्ता के लालची हाथो, इन दीवारो की बुनियाद खतरे में है।। ना ईद खतरे में है, ना दिवाली खतरे में है गैर मुल्कों की नज़र लगी है, हमारा सदभाव खतरे में है।। धर्म और मज़हब का चश्मा उतार कर देखो दोस्तों अब तो हमारा हिन्दुस्तान खतरे में है | एक बनो, नेक बनो ना हिन्दू बनो ना मुसलमान बनो, अरे पहले ढंग से इंसान तो बनो।।

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