Monday 6 April 2015

- अगर आपको अक्षरधाम हमले में मारे गए श्रद्धालुओं पर
दुखी होने के लिए हिंदू होने की जरूरत है.
- अगर खैरलांजी, भगाणा, मिर्चपुर, लक्ष्मणपुर बाथे पर दुखी
होने के लिए SC होने की जरूरत है
- अगर हाशिमपुरा में न्याय न मिलने पर दुखी होने के लिए
मुसलमान होने की जरूरत है
- अगर दांतेवाड़ा में मारे जा रहे लोगों पर दुखी होने के लिए
आदिवासी होने की जरूरत है.....
तो.....
......होगा आपके पास एक देश का झंडा और एक नक्शा भी,
लेकिन आप वास्तविक अर्थों में एक राष्ट्र नहीं है. राष्ट्र की
जो परिभाषा बाबा साहब को सबसे प्रिय थी, वह अर्नेस्ट रेनॉन
ने दी है, जिसके मुताबिक अगर आपके सपने साझा नहीं है, अगर
आपके सुख साझा नहीं हैं और उससे भी महत्वपूर्ण कि....
........अगर आपके दुख साझा नहीं हैं, तो आप एक राष्ट्र नहीं
हैं. हां आपका एक झंडा है. उसे लेकर नाचिए.
जो लोग साथ खुश होना और साथ रोना नहीं जानते, उस भू-
भाग को चंद सौ हमलावरों की फौजें जीत लेती हैं.... और यह
स्वाभाविक भी है.

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