Friday 29 August 2014

imp

ये चन्द पंक्तियाँ जिसने भी लिखी है
खूब लिखी है :

एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर
जाता है और भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर
भी पथ्थर ही रहते है ..!!
एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये
अपनी सुन्दरता त्याग देती है.......
और वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए
अपनी माँ को त्याग देता है
जीवन में हर जगह हम "जीत" चाहते हैं...
सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि "हार" चाहिए।
क्योंकि हम भगवान से "जीत"
नहीं सकते।
धीमें से पढ़े बहुत ही अर्थपूर्ण है यह
मेसेज...
हम और हमारे ईश्वर,
दोनों एक जैसे हैं।
जो रोज़ भूल जाते हैं...
वो हमारी गलतियों को,
हम उसकी मेहरबानियों को।
!ज़िन्दगी पल-पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है...
शिकवे कितने भी हो हर पल,
फिर भी हँसते रहना...क्योंकि ये
ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है।
..
शेयर जरूर करे ताकि दुसरे
भी इसको पढ सके ।।

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