Sunday 10 June 2012

अक्सर हम दोस्ती करते है दोस्तों से ,
और हमारे ज़िन्दगी में ,
खुशियों का बहार आ जाता है ,
हँसते खेलते ज़िन्दगी ,
किसी तरह कट जाता है ,
फिर एक दिन ऐसा आता है ,
जो दोस्तों से किसी बात को लेकर ,
कहा - सुनी हो जाती है ,
फिर अचानक दोस्ती टूट जाती है ,
एक दोस्त के बिछड़ने के बाद ,
फ्री में हमे एक और नया दोस्त मिल जाता है दुःख ,
जो धीरे - धीरे हमारे ज़िन्दगी में ,
प्रवेश करता चला जाता है ,
पर हम बेखबर रहते है ,
दुख जैसे नए दोस्त को पाकर ,
न हमे भूख लगती है ,
न हमे प्यास लगती है ,
दुःख को हम इतना गले से लगा लेते है ,
की कोई भी चीज़ हमे दिखाई नहीं देता ,
न भलाई और न ही बुराई ,
एकांत में बैठकर हम ,
तन्हाई में दुःख के साथ ,
निश्चिन्त होकर बात करते है ,
सिर्फ दुःख जैसे नए दोस्त को ,
पाकर हमारी ज़िन्दगी ,
दुःख में बदल जाती है ,
और इस दुःख जैसे नए दोस्त के सिवा ,
हम और कुछ भी नहीं सोच सकते ।

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