Friday, 4 August 2017
*ऐ उम्र !* *कुछ कहा मैंने,* *पर शायद तूने सुना नहीँ..!* *तू छीन सकती है बचपन मेरा,* *पर बचपना नहीं..!!* *हर बात का कोई जवाब नही होता...,* *हर इश्क का नाम खराब नही होता...!* *यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले....,* *मगर हर नशे का नाम शराब नही होता...!* *खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है....!* *हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है....!* *जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,* *असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है....!* *किसी ने खुदा से दुआ मांगी.!* *दुआ में अपनी मौत मांगी,* *खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर...!* *उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी मांगी...!* *हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता....!* *हर एक इन्सान बुरा नही होता.* *बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से....!* *हर बार कुसुर हवा का नही होता.. !!* *- गुलजार*-
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