बलिदानों को भूल गए
खून की होली खेल गए
सत्ता का मंत्र सीख गए
देश को भूल गए
नैतिकता को भूल गए
शहीदों पर राजनीति कर गए
पहचानो इन गुरुओं को जो देश को बेच रहे
भक्तो की कतार खड़ी अंधेपन से जूझ रहे
जागो यह वीर सपुटो डरने की बात नही
याद करो उन वीरों आज़ादी के मतवालों को
आओ फिर लड़नी होगी एक लड़ाई इन देश के गद्दारों से जो लूट रहे देश को विकास के नारे से
जय हिन्द ।
राणा संग्राम सिंह,
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