Tuesday, 8 August 2017

दोस्तों गुजरात के अहमद पटेल ,,जो देश के इतिहास में समर्पण ,, क़ुरबानी ,,एक ,दिया जो खुद जलकर दुसरो को रौशनी देता है ,नीव के पत्थर ,,जो कंगूरों को इतराने की ताक़त बख्शता है इन सब कुर्बानियो का ,,दोस्ती का एक अनूठा उदाहरण है ,,आज इन्ही अहमद पटेल की शानदार जीत कादिन है ,इक्कीस अगस्त उन्नीस सो उननचास को ,गुजरात के भरूच में,, इस ,,क़ुरबानी की मिसाल ,,वफादारी की जीती जागती तस्वीर का ,,,जन्म हुआ था ,,,,अहमद पटेल छात्र जीवन से ही कोंग्रेस के प्रति समर्पित होकर गांधी परिवार के साथ जुड़े थे ,,इनके राजनितिक जीवन की शुरुआत ,,वार्ड कॉर्पोरेटर के चुनाव की जीत हुई ,,अपने फन में माहिर ,,यारो के यार ,,समर्पण सेवा भाव का ही नतीजा था के यह कुछ दिनों में ही गुजरात कोंग्रेस के हीरो बन गए और आपात काल के बाद से पुरे पांच साल गुजरात यूथ कोंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे ,,आपात काल के बाद कोंग्रेस का संकट काल था ,,लेकिन अहमद पटेल अपनी रणनीतियों ,,चाणक्य नीति और वफ़ादारी के जज़्बे के साथ स्वर्गीय इंदिरा गांधी के साथ जुड़े रहे ,,कोंग्रेस को संकट से उबारने के लिए ,,एक प्रमुख शख्सियतों में से अहमद पटेल भी एक थे ,,फिर क्या था ,,अहमद पटेल गुजरात में कोंग्रेस के एक छत्र नेता थे वोह चार बार लोक सभा और तीन बार राज्य सभा के सदस्य रहे है ,,राजीव गान्धी के प्रमुख रणनीतिकार रहे ,,अहमद पटेल अब सोनिया गांधी के प्रमुख रणनीतिकार ,,कोंग्रेस के संकट मोचक है ,,,अहमद पटेल कृषि प्रबन्धन समिति ,,गुजरात राहत समिति ,,सन्स्क्रति विकास मण्डल ,,को ऑपरेटिव बैंक ,,जवाहर भवन ट्रस्ट ,अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ,,पेट्रोल गेस मंत्रालय सहित कई प्रमुख समितियों से जुड़े रहे है ,,संगठन में गुजरात के नेतृत्व से शुरू होकर कोंग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव के अलावा सोनिया गांधी के प्रमुख रणनीतिकार सचिव है ,, अहमद पटेल कोंग्रेस की एक ऐसी शख्सियत है जो सर्वाधिक ताक़तवर होने के बाद भी बेदाग छवि वाले रहे है ,,उन पर कभी मिडिया की या फिर आम लोगो की ,, प्रतिपक्ष की ऊँगली तक नहीं उठी है ,,अहमद पटेल आज भी कोंग्रेस के प्रमुख संकट मोचक के रूप में कोंग्रेस की नींव की ईंट बनकर काम कर रहे है ,,,यूँ कहिये के अहमद पटेल कोंग्रेस के पारिवारिक हिस्सा है तो गांधी परिवार के पारिवारिक ह्रदय स्थली भी है ,,,,,,जो कोंग्रेस और गांधी परिवार की किचन केबिनेट के प्रमुख कहे जा सकते है ,,कोंग्रेस में इतनी प्रमुखता ,,इतनी ज़िमेदारी ,,लेकिन ज़रा भी गुरुर नहीं ,,वही सादगी ,,वही अपनों से अपना बनकर मिलने के तोर तरीके ,,सच अहमद पटेल को महान बना देते है ,,,अहमद पटेल के लिए खुद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मिडिया सलाहकार संजय बारू ने कई खुलासे किये है ,,,लोकसभा चुनावों के समय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की किताब ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ सामने आई. अपनी किताब में बारू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल की राजनीतिक शख्सियत और कांग्रेस तथा मनमोहन सिंह सरकार में उनकी भूमिका को लेकर कई खुलासे किए. बारू ने अपनी किताब में बताया कि कैसे यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सभी संदेश प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पहुंचाने का काम नियमित तौर पर अहमद पटेल किया करते थे. वे सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बीच की राजनीतिक कड़ी थे. बारू के मुताबिक प्रधानमंत्री निवास में जब अचानक पटेल की आवाजाही बढ़ जाती तो यह इस बात का संकेत होता कि कैबिनेट में फेरबदल होने वाला है. पटेल ही उन लोगों की सूची प्रधानमंत्री के पास लाया करते थे जिन्हें मंत्री बनाया जाना होता था या जिनका नाम हटाना होता था. बारू यह भी बताते हैं कि कैसे पटेल के पास किसी भी निर्णय को बदलवाने की ताकत थी. वे एक उदाहरण भी देते हैं, ‘एक बार ऐसा हुआ कि ऐन मौके पर जब मंत्री बनाए जाने वाले लोगों की सूची राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए प्रधानमंत्री निवास से जाने ही वाली थी कि पटेल प्रधानमंत्री निवास पहुंच गए. उन्होंने लिस्ट रुकवाकर उसमें परिवर्तन करने को कहा. उनके कहने पर तैयार हो चुकी सूची में एक नाम पर वाइट्नर लगाकर पटेल द्वारा बताए गए नाम को वहां लिखा गया.’ बारू के इन खुलासों से इस बात का अच्छी तरह से पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी में अहमद पटेल की क्या स्थिति है और सोनिया से उनके किस तरह के संबंध हैं. अहमद पटेल सोनिया के सबसे करीबी व्यक्ति उस समय से हैं जब सोनिया ने राजनीति में कदम भी नहीं रखा था. पार्टी में अहमद पटेल को गांधी परिवार के बाद कांग्रेस का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता है. कोई अहमद पटेल को सोनिया का संकट मोचक कहता है तो कोई क्राइसिस मैनेजर. ‘सोनिया गांधी का रास्ता अहमद पटेल से होकर गुजरता है’ कहने वाले राजनीतिक गलियारों में बहुत से लोग मिल जाएंगे. सोनिया और अहमद पटेल की जोड़ी वैसे तो तभी से सक्रिय है जब सोनिया राजनीति में आई भी नहीं थीं. वैसे अहमद पटेल का कांग्रेस पार्टी से संबंध बहुत पुराना है. गांधी परिवार के इस वफादार सिपाही ने कांग्रेस का हाथ मजबूती से तभी से पकड़ रखा है जब इसकी कमान इंदिरा और उसके बाद राजीव गांधी के हाथों में हुआ करती थी. दोनों के साथ बेहद करीब से काम कर चुके अहमद पटेल सोनिया गांधी के संपर्क में तब पहली बार आए जब उन्हें जवाहर भवन ट्रस्ट का सचिव बनाया गया. उस दौर में सोनिया राजनीति से दूर थीं लेकिन उनकी ट्रस्ट के कामों में बहुत रुचि थी. कहते हैं कि पटेल ने ट्रस्ट से जुड़े कार्यों को पूरा करने के लिए न सिर्फ कड़ी मेहनत की बल्कि उसके लिए जरूरी पैसों का भी इंतजाम किया. इसके अलावा राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना में भी पटेल की बेहद अहम भूमिका रही. सोनिया के मन के सबसे करीब इस प्रोजेक्ट को पूरा करने और उसका बेहतर संचालन करने में पटेल ने कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी. यहीं से उन दोनों के मजबूत संबंध की नींव पड़ी जो आज तक कायम है. सोनिया-पटेल के संबंधों की चर्चा करते हुए गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला कहते हैं, ‘ राजीव गांधी की हत्या के बाद अहमद पटेल ने सोनिया गांधी से लेकर राहुल और प्रियंका सभी की जिम्मेदारी संभाली. चाहे वह राहुल व प्रियंका की पढ़ाई हो या फिर परिवार की आर्थिक या अन्य जरूरतें. पटेल ने एक सेवक की तरह परिवार की सेवा की.’ राजीव गांधी के देहांत के सात साल बाद तक खामोश रहने वाली सोनिया गांधी ने जब अंततः अपनी राजनीतिक चुप्पी तोड़ी तो पटेल उनके सारथी बने. वाघेला कहते हैं, ‘ सोनिया गांधी को पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार करने में पटेल की बहुत बड़ी भूमिका थी. सीताराम को बाहर करके सोनिया गांधी की ताजपोशी में पटेल ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया.’ सोनिया गांधी के पार्टी संभालने के बाद पटेल का राजनीतिक कद और रुतबा दिनों दिन बढ़ता चला गया. सोनिया के पटेल पर आंख बंद कर भरोसा करने के पीछे यह कारण भी बताया जाता है कि गांधी परिवार के इतने करीब और प्रभावशाली होने के बावजूद पटेल ने कभी अपनी राजनीतिक हैसियत का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए नहीं किया. गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र पटेल कहते हैं, ‘यूपीए की पिछली दो सरकारों में सभी जानते थे कि अहमद पटेल शक्तिशाली हैं लेकिन उन्होंने कभी अपनी हैसियत का अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं किया.’,,,

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