Tuesday, 1 August 2017

नेक दिल इन्सान रफी साहब के साहबजादे शाहिद रफी के साथ रफी साहब को नवाजे गये नेशनल और इन्टरनेशनल एवार्ड देखनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ । रफी साहब की मगफीरत की दुआ के साथ उनकी आत्मकथा स्वीकार करते हुए ऐम आई पटेल सुरों के सरताज मरहुम मोहम्मद रफी साहब की बरसी पर....* *मोहम्मद रफी साहब की आवाज के बिना हिंदी सिने संगीत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उनके शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीतों की भी अद्भुत दुनिया है...* *24 दिसंबर 1924 को जन्मे रफी साहब 31 जुलाई 1980 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह कर चले गए.* *उनका जन्म पंजाब के एक गांव कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। बचपन से ही संगीत के शौकीन रफी ने अपनी संगीत शिक्षा उस्ताद अब्दुल वाहिद खान से ली। अक्सर अपने बड़े भाई की दुकान पर गाकर लोगों की प्रशंसा जीतने वाले रफी ने अपना पहला प्रदर्शन लाहौर आकाशवाणी पर किया..* *Mohammad Rafi साहब को छः फिल्मफेयर अवार्ड और एक नेशनल अवार्ड मिल चूका है। 1967 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया था...* *मोहम्मद रफ़ी साहब एक भारतीय प्लेबैक सिंगर और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे प्रसिद्ध गायकों में से एक थे। भारतीय उपमहाद्वीप में उन्हें सदी के श्रेष्ट गायकों में शामिल किया गया है, और रफ़ी अपनी पवित्रता, गानों और देशभक्ति गीतों के लिये जाने जाते थे। इसके साथ-साथ उन्होंने कयी बहु-प्रसिद्ध रोमांटिक गीत, क़व्वाली, ग़जले और भजन भी गाए है। अपने गानों को फिल्म में काम करने वाले कलाकार के होंठो तक लाने की उनमे क्षमता थी। 1950 से 1970 के बीच, रफ़ी ने कई सुपरहिट गीत गाए और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी विशेष पहचान बनाई....* *मोहम्मद रफ़ी साहब विशेषतः हिंदी गीतों के लिये जाने जाते है, जिनपर उनकी अच्छी खासी पकड़ थी। सूत्रों के आधार पर कहा जा सकता है की उन्होंने सभी भाषाओ में तक़रीबन 7400 गाने गाए है। उन्होंने हिंदी के अलावा दूसरी भाषाओ में भी गाने गाए है जिनमे मुख्य रूप से असामी, कोनकी, भोजपुरी, ओडिया, पंजाबी, बंगाली, मराठी, सिंधी, कन्नड़, गुजराती, तेलगु, मगही, मैथिलि और उर्दू भाषा शामिल है। भारतीय भाषाओ के अलावा उन्होंने इंग्लिश, फारसी, अरबी, सिंहलेसे, क्रियोल और डच भाषा में भी गीत गाए है..*

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