Tuesday, 13 November 2018
वरिष्ठ कौनसील और सुप्रसिद्ध लोयर और विश्व गुजराती परिषद के अध्यक्ष श्री वखारीयाजी से एक मुलाकात। सुने जाने का अधिकार – Right to be Heard or Right to Representation सुने जाने का अधिकार का मतलब है कि उपभोक्ताओं के हितों की वकालत करते समय एवं उन्हें आर्थिक और अन्य नीतियों को बनाते समय पूरी तरह से सहानुभूतिपूर्वक उपभोक्ताओं को सुना जाए। वहीं यह अधिकार उपभोक्ताओं को शासकीय और अन्य नीति निर्माण करने वाली संस्थाओं के साथ-साथ उत्पादकों और अपनी सेवा देने वालो को भी अपना प्रतिनिधित्व करने का अधिकार देता है। इसके साथ ही सुने जाने के अधिकार के तहत किसी भी ग्राहक की बात सुनी जाना चाहिए। वहीं अगर कोई दुकानदार, किसी ग्राहक के साथ बुरा बर्ताव कर रहा है या किसी ग्राहक के साथ बेईमानी करता है तो सुने जाने के अधिकार के तहत ग्राहक उस दुकानदार के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकता है। इस अधिकार के तहत कोई भी ग्राहक अपने विचारों को जिला, राज्य और एवं राष्ट्रीय फोरम में अभिव्यक्त कर सकता है। इस तरह के सुने जाने के अधिकार के तहत कोई भी ग्राहक अपने विचार व्यक्त कर सकता है। इसके साथ ही निरीक्षण करने और शिकायत करने के मौके भी प्रदान करता है।
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