Thursday, 25 October 2018
एक ख़ूबसूरत बाग़🌳🌲🎄🌴में फलों 🍎🍇🍐🍏से लचकती हुई हरीभरी शाख़ों वाला एक शानदार वृक्ष🎄था, इस बाग़ में एक आदमी👳♂बार बार घूमने आया करता था, उसको इस पेड़🎄के फल पसंद आ गए थे, वो हमेशा इस पेड़ के फलों को खाता और थोड़े से अपने साथ भी ले जाता...... इस पेड़🎄पे कई सारी डालियों के बीच एक बड़ी मज़बूत डाली थी जीस पर झ्यादा फल 🍇🍎🍐🍐होते थे, लेकिन ये डाली तक पहोंचने के लिए कुछ छोटी छोटी कमझोर डालियों को हटाना पड़ता था, जो उस आदमी की नझर में फ़ायदेमंद न थी.... एक दीन इस ने वो बड़ी डाली को काट🗡⚔🗡 लिया......ये सोच कर के एक बार ये डाली पूरी की पूरी मील जाए फिर आसानी से इसके फलों से फ़ायदा उठाया जा सकता है....और वो छोटी डालियों के हटाने की जेहमत भी ख़त्म..... लेकिन होना क्या था? कुछ ही समय में वो हरीभरी मज़बूत डाली अहिस्ता अहिस्ता सुख ने लगी और जो फल उस पर थे वो भी सड़ कर ख़त्म हो गए.....और कोई नया फल आने की गुंजाईश भी ना रही उस डाली को पेड़🎄से जूदा करने की बदौलत.. आख़िरकार डाली कूड़े🛢के हवाले हुई...वो ना ख़ुद भी फ़ायदा हासिल कर सका, और ना ही दूसरों को कर ने दिया.... इसी तरह अगर किसी व्यक्ति को उसके दोस्त ऐहबाब और परिवार, क़बीले या समाज से जुदा कर दिया जाए, तो उसकी सलाहियतें अहिस्ता अहिस्ता ख़त्म जाती है, वो टूट कर बिखर जाता है...💔 जैसे उस डाली को अपने अस्तित्व के लिए पेड़ और अन्य डालियों की झरूरत रहती है, वैसे आदमी को आगे बढ़ने और कामियाब होने के लिए अपने दोस्त ऐहबाब और परिवार💞की झरूरत रहती....अकेले में चाहे वो कितना ही ख़ुशहाल नझर आए......लेकिन परखने वाली उसके अपनो की नझर उसकी आँखो में छुपी गहरी उदासी पढ़ लेती है.... If you can’t be a bridge n connect ppl....don’t at least be a wall n separate them🌺🌺🌺.
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