*अंधों की बस्ती में आईने की* *दुकान ढूंढ रहा हूं*
*मैं इंसानों में आजकल इंसान ढूंढ रहा हूं*
*अमन शांति भाईचारा यह सब सुना तो बहुत है*
*कहीं देख भी पाउ बस ऐसा एक जहान ढूंढ रहा हूं*
*पागल हूं जो सोचता हूं, कि पीतल भी सोना हो जाएगा*
*बेईमानों की बस्ती में इमान ढूंढ रहा हूं*
*जहर बहुत घोला है शब्दों ने हवाओं में*
*बस जुबा मीठी कर दे ऐसे पकवान ढूंढ रहा हूं*
*दिल्लगी ना सही बस दिल को ही लग जाए*
*उस हसीन चेहरे की एक मुस्कान ढूंढ रहा हूं*
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