Thursday, 4 May 2017
एक पाँच छे. साल का मासूम सा बच्चा 👦अपनी छोटी बहन 👩 को लेकर मस्जिद के एक तरफ कोने में बैठा हाथ उठा कर अल्लाह से न जाने क्या मांग रहा था। कपड़े में मेल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे। बहुत लोग उसकी तरफ मुतवज़ो थे और वह बिल्कुल अनजान अपने अल्लाह से बातों में लगा हुआ था। जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा- "क्या मांगा अल्लाह से" उसने कहा- "मेरे पापा मर गए हैं उनके लिए जनंत, मेरी माँ रोती रहती है उनके लिए सब्र, मेरी बहन माँ से कपडे सामान मांगती है उसके लिए पैसे"। "तुम स्कूल जाते हो" अजनबी ने सवाल किया। "हां जाता हूं" उसने कहा। "किस क्लास में पढ़ते हो ?" अजनबी ने पूछा "नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, मां चने बना देती है वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ, बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है" बच्चे का एक एक लफ्ज़ मेरी रूह में उतर रहा था । "तुम्हारा कोई रिश्तेदार" न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा। "पता नहीं, माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता, माँ झूठ नहीं बोलती, पर अंकल, मुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती है, जब हम खाना खाते हैं हमें देखती रहती है, जब कहता हूँ माँ तुम भी खाओ, तो कहती है मैं ने खा लिया था, उस समय लगता है झूठ बोलती है " "बेटा अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढाई करोगे ?" "बिल्कुलु नहीं" "क्यों" "पढ़ाई करने वाले गरीबों से नफरत करते हैं अंकल, हमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा - पास से गुजर जाते हैं" अजनबी हैरान भी था और शर्मिंदा भी। फिर उसने कहा "हर दिन इसी इस मस्जिद में आता हूँ, कभी किसी ने नहीं पूछा - यहाँ सब आने वाले मेरे वालिद(बाप) को जानते थे - मगर हमें कोई नहीं जानता "बच्चा जोर-जोर से रोने लगा" ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल हैं बस एक कोशिश कीजिये और अपने आसपास ऐसे ज़रूरतमंद यतिमो,बेवाओं और बेसहाराओ को ढूंढिये और उनकी मदद किजिए......... कुछ वक्त के लिए एक गरिब बेसहारा कि आँख मे आँख डालकर देखे आपको क्या मेहसूस होता है *खुद में व समाज में बदलाव लाने के कोशिश जारी रखे।
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