Saturday, 10 June 2017

Sweet memory: Iftar programme hosted by Congress president Mrs Sonia Gandhi at New Delhi. Mr M M Shaikh seen with me.... दोस्तों उन महान *हस्तियों* का नाम *इतिहास* और सभ्य समाज हमेशा *लिया करता है जिन्होंने अपने *देश* के लिये त्याग और *बलिदान* दिया हो *सोनिया* *गाँधी* का नाम किसी परिचय का *मोहताज* नहीं है विश्व के हर हिस्से में उनका नाम बेहद *सम्मान* के साथ लिया जाता है राजनितिक मजबूरी को छोड़ दिया जाये तो उनके *विरोधी* भी उनकी नाम बेहद ही सम्मान से लेते हैं इटली जैसी विकसित राष्ट्र में जन्म लेने वाली *सोनिया* *भारत* में देश की सबसे शक्तिशाली और सम्मानित *गाँधी* परिवार के बड़ी बहु बनकर आई *इंदिरा* *गाँधी* जी की बहु और *राजीव* *गाँधी* की पत्नी की रूप में अपनी संस्कृति भाषा और रीती-रिवाज को छोड़कर नई तरह की संस्कृति को अपनाने आई *सोनिया* जी देश की सामाजिक समीकरण और *राजनीती* से अनजान थी वो अपने पति को एक *राजनेता* के जगह *पायलट* के रूप में देखना अधिक *पसंद* करती थी और *राजीव* खुद भी *राजनेता* नहीं बनना चाहते थे *सोनिया* को *इंदिरा* जी के रूप में एक महान् *शख्सियत* सास मिली थी जो उन्हें भारतीयता की अर्थ समझाने के साथ-साथ परेशानी से डटकर लड़ना और देश की ताकत गांव के करीब रहना तथा देश की *किसान*- *मजदूर* की सेवा करना जैसी *महान्* सिख देती थी जिसका नतीजा ही था कि वो जल्द ही *भारत* को ही अपना सबकुछ मानकर इटली को *भूल* गई और *देश* की *सेवा* में अपनी *सासु* माँ का मदद करने लगी लेकिन वो और *राजीव* राजनीती में नहीं आना चाहते थे *इंदिरा* जी और *संजय* *देश* की *राजनीती* में *खुश* थे और *सोनिया* *राजीव* अपनी गैर-राजनीती जीवन में लेकिन *संजय* जी की दुर्घटना में मौत ने *राजीव* जी को अपनी माँ की हिम्मत बढ़ाने के लिये और *राजनीती* में मदद के लिये आना परा इसके वाबजूद भी *सोनिया* और *राजीव* सक्रिय राजनीती में नहीं आना चाहते थे लेकिन *इंदिरा* जी की हत्या के बाद की *परिस्थिति* ने उन्हें *भारतीय* राजीनीति में ले आया और *राजीव* प्रधानमंत्री बने तो *सोनिया* हर जगह उनकी मदद के लिये साथ रही *सोनिया* *राजीव* के साथ गाँवो में जाकर *किसानों* की समस्या सुनती थी और *युवाओं* से मिलकर उनकी नई विचारों को *राजीव* तक पहुंचाकर देश को नई *दिशा* दे रही थी लेकिन *राजीव* जी की *हत्या* ने उन्हें भारतीय राजनीति से *दूर* कर दिया क्योंकि वो पूर्णतः *टूट* चुकी थी और उन्हें अपने *पुत्र* *राहुल* और पुत्री *प्रियंका* का *भविष्य* संवारना था *सोनिया* भारतीय राजनीति से दूर अपने घर में ही रहकर *प्रियंका* और *राहुल* जी के साथ रहने लगी लेकिन दूसरी तरफ देश और *कांग्रेस* में नेतृत्व *संकट* उत्पन्न हो गया जहाँ *देश* का *नेतृत्व* गलत हाथों में जाने के कारण देश में *आरजकता* फैलने लगी तो वही पार्टी के *हाईकमान* की गलतियां से पार्टी बेहद *कमजोर* होने लगी तो परिवार और *पार्टी* के निर्णय पर *सोनिया* जी ने पार्टी का बागडोर संभाला और जो पार्टी अपनी *अस्तित्व* के लिये लड़ रही थी उसे केंद्र और राज्य के सत्ता में वापस लाया *सोनिया* चाहती तो *आसानी* से *प्रधानमंत्री* बन सकती थी क्योंकि पूरा *कांग्रेस* उनके साथ *एकजुट* था लेकिन उन्होंने देश में *सामाजिक* और राजनैतिक समस्या उत्पन्न ना हो इसलिये उन्होंने *त्याग* देते हुए *प्रधानमंत्री* नहीं बनने का *फैसला* लिया *याद* है लोगो को वो *पल* आज भी जब उन्होंने ये ऐलान किया था तो *कांग्रेस* का पूरा संसदीय दल *गमगीन* हो गया था लेकिन उन्होंने *प्रधानमंत्री* के रूप में चुना भी तो किसे उस *शख्सियत* को जिसने देश की *अर्थव्यवस्था* का *कायाकल्प* किया था डॉ *मनमोहन* सिंह जिसे देश ही नहीं पूरा *विश्व* *पूजता* है लेकिन एक सत्य है कि डॉ साहब राजनीतिक व्यक्ति नहीं थे और सरकार उन्हें गठबंधन का चलाना था इसलिये वो हमेशा *सोनिया* जी से वो राजनितिक स्थिति पर विचार विमर्श करते थे *सोनिया* जी की जिंदगी देखा जाये तो उन्होंने जो *संघर्ष* करके सफलता प्राप्त की है वो आम इंसान के लिये सपना लगता है आज *झूठ* और *नफरत* की राजनीती की वजह से भले ही *कांग्रेस* कमजोर हो गई हो लेकिन जैसे जैसे *झूठ* नफरत की *पोल* *खुल* रही है *कांग्रेस* की वापसी *जोरदार* हो रही है *सोनिया* जी जैसी महान् *शख्सियत* को सिर्फ देश के ही नहीं बल्कि विदेश के लोग भी *आदर्श* मानते हैं क्योंकि उन्होंने अपने विरोधियो द्वारा घिणौने हमले का *जबाब* बयान से देने के बजाय *कामो* से दिया उन्होंने कई बार दिखाया की वो *जन्म* भले ही *विदेश* में ली हो लेकिन *भारतीयता* उनमें *कूट*- *कूट* कर भरी है हमे *गर्व** है कि ऐसी पार्टी के *कार्यकर्ता* जिस *कांग्रेस* पार्टी के नेताओं का इतिहास *वलिदान* *त्याग* से भरा हुआ है *शिवपाल* *गुर्जर* *(झांसी)*

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