Sunday, 11 June 2017

मत आना तुम लौट के गांधी हम गुलामी पसंद करते है। रोज सत्य की बलि चढ़ा कर असत्य बुलंद करते है। अंग्रेजो से आजाद हुए थे आज अपनो की गुलामी करते है। जो आजादी दिलाता है पहले क़त्ल उसी को करते है। पढ़े लिखे बच्चे आजके आपसे खूब होशियार है रुपये का मोह नहीं डॉलर से उनको प्यार है लौट के नहीं आते है अपने कितनाभी उन्हें मनाये तो परदेस मैं गाड़ चुके थे झंडा तुम आये जान गवाने को इन्ही लोगों से प्यार था जो आज तुमपर हँसते है रास्ते पे तेरे चला न कोई बस नाम से तुम्हारे रस्ते है। बिनती करता हूँ बापू फिर ऐसी गलती ना करना मत चलना दांडी तक सत्याग्रह या धरना धरना मत होना दुखी देखके नंगे हिंदुस्तान को मत चलाना चरखा और जगाना भारत के स्वाभिमान को। मत आना तुम लौट के गांधी हम गुलामी पसंद करते है। रोज सत्य की बलि चढ़ा कर असत्य बुलंद करते है। अंग्रेजो से आजाद हुए थे आज अपनो की गुलामी करते है। जो आजादी दिलाता है पहले क़त्ल उसी को करते है। प्रशांत धुमाळ

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