*तू मूझे नवाज़ता है, ये तेरा करम है मेरे खुदा,*
*वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी इबादत कहाँ,*
*रोज़ गलती करता हू, तू छुपाता है अपनी बरकत से,*
*मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रेहमत से!*
*मेरी इज्जत के लिए काफी है के मैं तेरा बंदा हूँ..I*
*और मेरी फिक्र के लिए ये काफी है* *कि तू मेरा खुदा है..I*
*तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ..I*
*बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है*
*.........Aamen....*
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