Saturday, 3 June 2017

*तू मूझे नवाज़ता है, ये तेरा करम है मेरे खुदा,* *वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी इबादत कहाँ,* *रोज़ गलती करता हू, तू छुपाता है अपनी बरकत से,* *मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रेहमत से!* *मेरी इज्जत के लिए काफी है के मैं तेरा बंदा हूँ..I* *और मेरी फिक्र के लिए ये काफी है* *कि तू मेरा खुदा है..I* *तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ..I* *बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है* *.........Aamen....*

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