Friday, 30 June 2017
*_अगर रेल यात्रा में आपका सामान चोरी हो जाए, तो ... ?_* (ध्यान से पढें)! *R.T.I. 🚊उपयोगी जानकारी 🚊* लखनऊ से जबलपुर लौटते वक्त ए.सी. कोच में जबलपुर की एक महिला प्रोफेसर का पर्स चोरी हो गया, जिसमें लाखों के जेवर और रुपए थे। अब तक उस सामान का पता नहीं लग सका है। चोरी गए सामान की कीमत अब रेलवे को देना होगी। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने रेल यात्रियों को यह सुविधा दिला दी है।इसके लिए पीड़ित यात्री को उपभोक्ता फोरम में रेलवे की सेवा में कमी का मामला दायर करना होगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के मुताबिक रिजर्व कोच में अनाधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना टी.टी.ई. की जिम्मेदारी है, और अगर वह इसमें नाकाम रहता है, तो रेलवे सेवा में खामी मानी जाएगी। कैसे मिला अधिकार: फरवरी 2014 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ट्रेन से चोरी गए महिला डॉक्टर के सामान की राशि का भुगतान रेलवे को करने का आदेश दिया। रेलवे ने इस पर दलील दी की "ये मामला रेलवे क्लेम टिब्यूनल में ही सुना जा सकता है।" जबकि यात्री के वकील के मुताबिक टिब्यूनल में सिर्फ रेलवे में बुक पार्सल के मामलों को ही सुना जाता है। न्यायमूर्ति सी.के. प्रसाद और पिनाकी चंद्र घोष की पीठ ने 17 साल पुराने इस मामले में रेलवे की दलील को खारिज कर दिया और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया। यह अधिकार यात्रियों के लिए जितना सुविधाजनक है, उतना ही रेलवे और पुलिस के लिए मुश्किल भरा। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं है, और न ही इस जानकारी को उन तक पहुंचाने के लिए कोई कारगर कदम उठाए गए हैं। ट्रेन में चोरी होने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराते वक्त पीड़ित को इस बारे में पुलिस द्वारा जानकारी नहीं दी जाती। हालांकि जबलपुर जी.आर.पी. का कहना है कि 1 अप्रैल, 2014 के बाद यह आदेश जारी हुआ और 6 माह बाद यानि सितम्बर से अब तक एक भी मामले नहीं आए। 6 माह करना होगा इंतजार चोरी गए सामान को तलाशने के लिए जी.आर.पी. के पास 6 माह का वक्त होगा। इस दरमियान यदि पुलिस पीड़ित का सामान नहीं तलाश पाती तो वह उपभोक्ता फोरम जा सकता है| इसके लिए एफ.आई.आर. दर्ज कराते समय पुलिस को पीड़ित से उपभोक्ता फोरम फार्म भरवाना होगा। ओरिजनल कॉपी पीड़ित के पास होगी, और पुलिस कार्बन कॉपी अपने पास रखेगी। एफ.आई.आर. और फार्म ही यात्री का मूल दस्तावेज होगा, जिसके आधार वह केस दर्ज कराएगा। ये हैं आपके अधिकार यह सुविधा सिर्फ स्लीपर या ए.सी. कोच में रिजर्वेशन कराने वाले यात्रियों के लिए है। उपभोक्ता फोरम के जानकार एडवोकेट बताते हैं कि रिजर्वेशन के दौरान यात्री से 2 रुपए सुरक्षा शुल्क लिया जाता है। इधर ट्रेन में स्लीपर कोच यात्री को दिया जाता है, जिसके बाद यह तय होता है कि आपने उसे ट्रेन में सोने का अधिकार दिया है और इस दौरान जो भी घटना होती है, उसका जिम्मेदार रेलवे ही होगा। ट्रेन के स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करते समय यात्री का सामान चोरी होता है तो शिकायत दर्ज करते वक्त उससे उपभोक्ता फोरम का फार्म भरवाया जाता है। यदि 6 माह तक पुलिस उसका सामान नहीं तलाश पाती तो वह फार्म की कॉपी ले जाकर उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज कर सकता है, जहां पर रेलवे को पीड़ित का हर्जाना देना होगा। 💥 इसे पढ़ कर सिर्फ अपने तक सीमित मत रखिए, बल्कि इसे आगे बढ़ाइए ...💥 Centralised numbers released by Indian Railways for citizen convinience " 9760534983 : टीटीई, आरक्षण और भोजन 9760500000 : साफ-सफाई 9760534057 : कोच में समस्या 9760534060 : बिजली से जुड़ी समस्या 9920142151 : इंक्वायरी की समस्या 9760534063 : आरपीएफ एवं सुरक्षा 9760534069 : पेयजल व्यवस्था 9760534073 : चिकित्सा कृपया पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर कर जन जन तक पहुचाये
ऐम आई पटेल और ऐडवोकेट गुलशाद अली के साथ हरियाणा के ऐक गांव मे किसानो के साथ यमुना नदी के किनारे।।। *तेरी बुराइयों* को हर *अख़बार* कहता है, और तू मेरे *गांव* को *गँवार* कहता है । *ऐ शहर* मुझे तेरी *औक़ात* पता है, तू *चुल्लू भर पानी* को भी *वाटर पार्क* कहता है। *थक* गया है हर *शख़्स* काम करते करते, तू इसे *अमीरी* का *बाज़ार* कहता है। *गांव* चलो *वक्त ही वक्त* है सबके पास , तेरी सारी *फ़ुर्सत* तेरा *इतवार* कहता है । *मौन* होकर *फोन* पर *रिश्ते* निभाए जा रहे हैं, तू इस *मशीनी दौर* को *परिवार* कहता है । जिनकी *सेवा* में *खपा* देते थे जीवन सारा, तू उन *माँ बाप* को अब *भार* कहता है । *वो* मिलने आते थे तो *कलेजा* साथ लाते थे, तू *दस्तूर* निभाने को *रिश्तेदार* कहता है । बड़े-बड़े *मसले* हल करती थी *पंचायतें*, तु अंधी *भ्रष्ट दलीलों* को *दरबार* कहता है । बैठ जाते थे *अपने पराये* सब *बैलगाडी* में , पूरा *परिवार* भी न बैठ पाये उसे तू *कार* कहता है । अब *बच्चे* भी *बड़ों* का *अदब* भूल बैठे हैं , तू इस *नये दौर* को *संस्कार* कहता है *। ....💐🙏🏻💐....*
ऐम आई पटेल और ऐडवोकेट गुलशाद अली के साथ हरियाणा के ऐक गांव मे किसानो के साथ यमुना नदी के किनारे।।। *तेरी बुराइयों* को हर *अख़बार* कहता है, और तू मेरे *गांव* को *गँवार* कहता है । *ऐ शहर* मुझे तेरी *औक़ात* पता है, तू *चुल्लू भर पानी* को भी *वाटर पार्क* कहता है। *थक* गया है हर *शख़्स* काम करते करते, तू इसे *अमीरी* का *बाज़ार* कहता है। *गांव* चलो *वक्त ही वक्त* है सबके पास , तेरी सारी *फ़ुर्सत* तेरा *इतवार* कहता है । *मौन* होकर *फोन* पर *रिश्ते* निभाए जा रहे हैं, तू इस *मशीनी दौर* को *परिवार* कहता है । जिनकी *सेवा* में *खपा* देते थे जीवन सारा, तू उन *माँ बाप* को अब *भार* कहता है । *वो* मिलने आते थे तो *कलेजा* साथ लाते थे, तू *दस्तूर* निभाने को *रिश्तेदार* कहता है । बड़े-बड़े *मसले* हल करती थी *पंचायतें*, तु अंधी *भ्रष्ट दलीलों* को *दरबार* कहता है । बैठ जाते थे *अपने पराये* सब *बैलगाडी* में , पूरा *परिवार* भी न बैठ पाये उसे तू *कार* कहता है । अब *बच्चे* भी *बड़ों* का *अदब* भूल बैठे हैं , तू इस *नये दौर* को *संस्कार* कहता है *। ....💐🙏🏻💐....*
Thursday, 29 June 2017
Salams, Ya Rabb, Ya Karim, Whoever wishes good for me in the secrecy of the night or in the openness of daylight, grant them double what they have wished for me.! And, whoever wishes harm to touch me, pardon them and stretch distance and forgiveness between us.! AMEEN. May your fasts be rewarded and prayers accepted. May Allah SWT grant you and your family peace, happiness and prosperity and give you the strength to continue to uphold the moral and spiritual values of the holy month of Ramadhan throughout the year ahead. AMEEN. EID MUBARAK.! Please remember me, my family and the entire Ummah, in particularly those around the world who are so much less fortunate than us, in your esteemed duas. Wassalam'Khair.
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 *समय समय की बात है*, *दो फूल कहते है हम साथ साथ है*। *लेकिन डाली से टूटने के बाद*, *एक की किस्मत मे मंदिर का प्रसाद है,* *और दूसरे की किस्मत में श्मसान की लाश है*। *किसी ने ठीक ही कहा है की किस्मत महलो मे राज करती है और हुनर सड़को पे करतब दिखाता है।* *हुनर तो सब में होता है लेकिन किसी का छिप जाता है और किसी का छप जाता है*.. *जहां अंहकार की धुंध होती है ,* *वहां ज्ञान का जहाज ,* *नहीं उतर पाता ...!* 🐾🐾♦♦🐾🐾 *एक गलती आपका अनुभव* *बढ़ा देती है और अनुभव* *आपकी गलतियां कम कर देता है* *ज़िन्दगी में अगर कोई सबसे*... *सही रास्ता दिखाने वाला दोस्त* *है तो वो है* *अनुभव* 🐾🐾🍃🍃🐾🐾 सुप्रभात 🐾🐾💚💚🐾🐾
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Please look at the speech that was read yesterday at the retreat by the Pope. Regardless of religion, see how beautiful what Pope Francis wrote about the family. An evangelizing spirit in deed. FAMILY, PLACE OF FORGIVENESS ... There is no perfect family. We do not have perfect parents, we are not perfect, we do not marry a perfect person or have perfect children. We have complaints from each other. We disappoint each other. So there is no healthy marriage or healthy family without the exercise of forgiveness. Forgiveness is vital to our emotional health and spiritual survival. Without forgiveness the family becomes an arena of conflict and a stronghold of hurt. Without forgiveness, the family becomes ill. Forgiveness is the a sepsis of the soul, the cleansing of the mind and the liberation of the heart. Whoever does not forgive does not have peace in the soul nor communion with God. Hurt is poison that intoxicates and kills. Keeping heartache in the heart is a self-destructive gesture. It's autophagy. Those who do not forgive are physically, emotionally and spiritually ill. That is why the family must be a place of life, not of death; Territory of cure and not of illness; Stage of forgiveness and not guilt. Forgiveness brings joy where sorrow has produced sadness; Healing, where sorrow has caused disease. - Pope Francisco
Please look at the speech that was read yesterday at the retreat by the Pope. Regardless of religion, see how beautiful what Pope Francis wrote about the family. An evangelizing spirit in deed. FAMILY, PLACE OF FORGIVENESS ... There is no perfect family. We do not have perfect parents, we are not perfect, we do not marry a perfect person or have perfect children. We have complaints from each other. We disappoint each other. So there is no healthy marriage or healthy family without the exercise of forgiveness. Forgiveness is vital to our emotional health and spiritual survival. Without forgiveness the family becomes an arena of conflict and a stronghold of hurt. Without forgiveness, the family becomes ill. Forgiveness is the a sepsis of the soul, the cleansing of the mind and the liberation of the heart. Whoever does not forgive does not have peace in the soul nor communion with God. Hurt is poison that intoxicates and kills. Keeping heartache in the heart is a self-destructive gesture. It's autophagy. Those who do not forgive are physically, emotionally and spiritually ill. That is why the family must be a place of life, not of death; Territory of cure and not of illness; Stage of forgiveness and not guilt. Forgiveness brings joy where sorrow has produced sadness; Healing, where sorrow has caused disease. - Pope Francisco
Wednesday, 28 June 2017
दोस्तों जव *राजीव* *गांधी* जी का *स्वर्गवास* हो गया तो *अटल* *बिहारी* वाजपेयी का कहा पढोगे तो *आँखे* भर आएगी श्री *राजीव* *गाँधी* की *हत्या* के बाद पत्रकार *करन* *थापर* ने वाजपेयी जी को *फोन* करके पूछा कि क्या वो *राजीव* जी के बारे में बात करना चाहेंगे तो *करन* को *वाजपेयी* जी ने घर पर *बुलाया* और करन से बोले कि कोई और बात करने से पहले वो कुछ बताना चाहते हैं *वाजपेयी* जी ने करन से कहा, “जब *राजीव* *गांधी* प्रधानमंत्री थे तो उन्हें कहीं से पता चला कि मुझे *किडनी* की बीमारी है जिसका इलाज *विदेश* में होगा। एक दिन *राजीव* ने मुझे दफ्तर बुलाया और कहा कि वो मुझे *संयुक्त* *राष्ट्र* जा रहे भारतीय *प्रतिनिधिमंडल* में शामिल कर रहे हैं और उम्मीद जताई कि मैं इस मौके का इस्तेमाल जरूरी *इलाज* के लिए करूंगा। मैं *न्यूयॉर्क* गया और ये एक कारण है कि मैं आज *ज़िंदा* हूं।” वाजपेयी जी ने इसके आगे कहा, “तो तुम्हें समझ में आ गई मेरी *दिक्कत*, करन। मैं आज *विपक्ष* में हूं और लोग चाहते हैं कि मैं एक *विरोधी* की तरह बात करूं। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता। मैं सिर्फ वो बात करना चाहता हूं जो *राजीव* जी ने मेरे लिए किया। अगर तुम्हारे लिए ये ठीक है तो बात करूंगा अगर नहीं है तो मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है ऐसे थे *राजीव* *गांधी* हमें गर्व है कि हम ऐसी पार्टी के *कार्यकर्ता* हैं *शिवपाल* *गुर्जर*
Canada Day in Canada On July 1, 1867, Canada became a self-governing dominion of Great Britain and a federation of four provinces: Nova Scotia; New Brunswick; Ontario; and Quebec. The anniversary of this date was called Dominion Day until 1982. Since 1983, July 1 has been officially known as Canada Day. Canada Day On July 1, 1867, the British North Americas Act created the Dominion of Canada as a federation of four provinces. This event is known as the confederation of Canada. The four original provinces were created from the former British colonies of Nova Scotia, New Brunswick and the Province of Canada, which was divided into the provinces of Quebec and Ontario. Canada's boundaries have been extended since 1867. The country now consists of 10 provinces and three territories. On June 20, 1868, the Canada's Governor General proclaimed that Canadians should celebrate the anniversary of the confederation. July 1 became a statutory holiday, known as Dominion Day, in 1879. However, no official celebrations were held until the 50th anniversary in 1917 and the 60th anniversary in 1927. After World War II, Dominion Day was celebrated more frequently and more events were organized by the national government. After the centenary of the confederation in 1967, Dominion Day events became more widespread. July 1 became popularly known as Canada Day. The date was also officially known as Canada Day from 1983 onwards. Since 2006 Canada Day celebrations were also held at London's Trafalgar Square in the United Kingdom. It is expected that these celebrations will be held annually. Depending on the availability of Trafalgar Square, these events may be held just before, on or just after July 1.
Tuesday, 27 June 2017
ऐम आई पटेल आणी श्री शिवाजीराव देशमुख महाराष्ट्र विधानपरिषद अध्यक्ष ।।।।। जी माणसं *रागावतात* ती नेहमी *खरी* असतात. कारण ... *खोटारड्यांना* मी नेहमीच *हसतांना* पाहिले आहे. *खरं* बोलून मन *दुखावल* तरी चालेल. पण *खोट* बोलून *आनंद* देण्याचा *प्रयत्न* करू नका. *आयुष्यातील* काही गोष्टी *कब्बडी* च्या *खेळाप्रमाणे* असतात. तुम्ही *यशाच्या रेषेला हात* लावताच... *लोक तुमचे पाय पकडायला* सुरुवात करतात. *जन्म* : दूसर्याने दिला ... *नाव* : दूसर्या ने ठेवलं ... *शिक्षण* : दूसर्याने दिलं ... *रोजगार* : दूसर्याने दिला ... *इज़्ज़त* : दूसर्यांनी दिली ... *पहीली आणि शेवटची आंघोळ सुद्धा* : दुसरेच घालणार ... *मरणानंतर संपत्ति* : दूसरेच वाटुन घेणार ... *आणि स्मशानभूमीत* : दूसरेच घेऊन जाणार... तरी देखील संपुर्ण आयुष्यभर माणसाला कोणत्या गोष्टीचा गर्व असतो... हे सांगणं मात्र कठीणच !!! *दु:ख* इतकं नशीबवान आहे की ज्याला प्राप्त करून लोक... आपल्या माणसांना *आठवतात*. *धन* इतकं दुर्दैवी आहे की ज्याला मिळवून लोक नेहमी... आपल्या माणसांना *विसरतात*. किती अजब आहे ना...?? माणसाच्या शरीरात 70% पाणी आहे, पण जखम झाली की रक्त येतं.... आणि माणसाचे हृदय रक्ताचे बनलेले असून हृदय दुःखावलं की डोळ्यातून पाणी येतं. चांगले msg नेहमी शेयर करा.... जास्तीत जास्त... मनाला खुप वेगळा आनंद मिळेल..
ऐम आई पटेल आणी श्री शिवाजीराव देशमुख महाराष्ट्र विधानपरिषद अध्यक्ष ।।।।। जी माणसं *रागावतात* ती नेहमी *खरी* असतात. कारण ... *खोटारड्यांना* मी नेहमीच *हसतांना* पाहिले आहे. *खरं* बोलून मन *दुखावल* तरी चालेल. पण *खोट* बोलून *आनंद* देण्याचा *प्रयत्न* करू नका. *आयुष्यातील* काही गोष्टी *कब्बडी* च्या *खेळाप्रमाणे* असतात. तुम्ही *यशाच्या रेषेला हात* लावताच... *लोक तुमचे पाय पकडायला* सुरुवात करतात. *जन्म* : दूसर्याने दिला ... *नाव* : दूसर्या ने ठेवलं ... *शिक्षण* : दूसर्याने दिलं ... *रोजगार* : दूसर्याने दिला ... *इज़्ज़त* : दूसर्यांनी दिली ... *पहीली आणि शेवटची आंघोळ सुद्धा* : दुसरेच घालणार ... *मरणानंतर संपत्ति* : दूसरेच वाटुन घेणार ... *आणि स्मशानभूमीत* : दूसरेच घेऊन जाणार... तरी देखील संपुर्ण आयुष्यभर माणसाला कोणत्या गोष्टीचा गर्व असतो... हे सांगणं मात्र कठीणच !!! *दु:ख* इतकं नशीबवान आहे की ज्याला प्राप्त करून लोक... आपल्या माणसांना *आठवतात*. *धन* इतकं दुर्दैवी आहे की ज्याला मिळवून लोक नेहमी... आपल्या माणसांना *विसरतात*. किती अजब आहे ना...?? माणसाच्या शरीरात 70% पाणी आहे, पण जखम झाली की रक्त येतं.... आणि माणसाचे हृदय रक्ताचे बनलेले असून हृदय दुःखावलं की डोळ्यातून पाणी येतं. चांगले msg नेहमी शेयर करा.... जास्तीत जास्त... मनाला खुप वेगळा आनंद मिळेल..
*ek ek point dhayaan se pado* *Quote 1 .* जब लोग आपको *Copy* करने लगें तो समझ लेना जिंदगी में *Succes s* हो रहे हों. *Quoted 2 .* कमाओ…कमाते रहो और तब तक कमाओ, जब तक महंगी चीज सस्ती न लगने लगे. *Quote 3 .* जिस व्यक्ति के सपने खत्म, उसकी तरक्की भी खत्म. *Quote 4 .* यदि *“Plan A”* काम नही कर रहा, तो कोई बात नही *25* और *Letters* बचे हैं उन पर *Try* करों. *Quote 5 .* जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की. *Quote 6 .* भीड़ हौंसला तो देती हैं लेकिन पहचान छिन लेती हैं. *Quote 7 .* अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती हैं. *Quote 8 .* कोई भी महान व्यक्ति अवसरों की कमी के बारे में शिकायत नहीं करता. *Quote 9 .* महानता कभी ना गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है. *Quote 10 .* जिस चीज में आपका *Interest* हैं उसे करने का कोई टाईम फिक्स नही होता. चाहे रात के *1* ही क्यों न बजे हो. *Quote 11 .* अगर आप चाहते हैं कि, कोई चीज अच्छे से हो तो उसे खुद कीजिये. *Quote 12 .* सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते. *Quote 13 .* जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को अलग तरह से करते हैं. *Quote 14 .* जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी. *Quote 15 .* यदि लोग आपके लक्ष्य पर *हंस* नहीं रहे हैं तो समझो *आपका लक्ष्य बहुत छोटा हैं.* *Quote 16 .* विफलता के बारे में चिंता मत करो, आपको बस एक बार ही सही होना हैं. *Quote 17 .* सबकुछ कुछ नहीं से शुरू हुआ था. *Quote 18 .* हुनर तो सब में होता हैं फर्क बस इतना होता हैं किसी का *छिप* जाता हैं तो किसी का *छप* जाता हैं. *Quote 19 .* दूसरों को सुनाने के लिऐ अपनी आवाज ऊँची मत करिऐ, बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाऐं कि आपको सुनने की लोग मिन्नत करें. *Quote 20 .* अच्छे काम करते रहिये चाहे लोग तारीफ करें या न करें आधी से ज्यादा दुनिया सोती रहती है ‘सूरज’ फिर भी उगता हैं. *Quote 21 .* पहचान से मिला काम थोडे बहुत समय के लिए रहता हैं लेकिन काम से मिली पहचान उम्रभर रहती हैं. *Quote 22 .* जिंदगी अगर अपने हिसाब से जीनी हैं तो कभी किसी के *फैन* मत बनो. *Quote 23 .* जब गलती अपनी हो तो हमसे बडा कोई वकील नही जब गलती दूसरो की हो तो हमसे बडा कोई जज नही. *Quote 24 .* आपका खुश रहना ही आपका बुरा चाहने वालो के लिए सबसे बडी सजा हैं. *Quote 25 .* कोशिश करना न छोड़े, गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल सकती हैं. *Quote 26 .* इंतजार करना बंद करो, क्योकिं सही समय कभी नही आता. *Quote 27 .* जिस दिन आपके *Sign #Autograph* में बदल जाएंगे, उस दिन आप *बड़े आदमी बन जाओगें.* *Quote 28 .* काम इतनी शांति से करो कि सफलता शोर मचा दे. *Quote 29 .* तब तक पैसे कमाओ जब तक तुम्हारा बैंक बैलेंस तुम्हारे फोन नंबर की तरह न दिखने लगें. *Quote 30 .* *अगर एक हारा हुआ इंसान हारने के बाद भी मुस्करा दे तो जीतने वाला भी जीत की खुशी खो देता हैं. ये हैं मुस्कान की ताकत.*
Monday, 26 June 2017
मेरे अल्लाह...बुराई से बचाना मुझको....इस दुआ के साथ ईद मुबारक "तुम गले से आ मिलो, सारा गिला जाता रहे" ईद हमारी गंगा-जमनी तहज़ीब के उन ख़ास त्योहारों में से है जिन्हें सदियों से हम साथ मनाते आ रहे हैं। लेकिन 21वीं सदी के इस माहौल में चाहे ईद हो या दीवाली, सिर्फ़ रस्में अदा हो रही हैं। किसी शायर का ये शेर ऐसे ही हालात का आइना है – मिल के होती थी कभी ईद भी दीवाली भी। अब ये हालत है कि डर-डर के गले मिलते हैं।। इस घड़ी दिल दुआ मांगना चाहता है कि ऐ ऊपरवाले हम कुछ कम में भी गुज़ारा कर लेंगे लेकिन हमारी इस दुनिया को अपनी रहमतों की बस इतनी झलक दे दे कि जब कोई लिखने वाला किसी भी त्योहार पर लिखने के लिये क़लम उठाये तो ऐसे न शुरू करे जैसे ये लेख शुरू हुआ है। ईद विषय पर लिखने का आदेश है तो इरादा कर रहा हूं कि पाठकों को मुबारकबाद दूं और ईद के महत्व पर कुछ रौशनी डालूं लेकिन क्या करूं फिर हथौड़े की तरह एक शेर दिमाग़ पर वार कर रहा है। क़लम को मजबूर कर रहा है कि उसे भी 21वीं सदी के इस ईदनामे में जगह दी जाए । ये सियासत है मेरे मुल्क की अरबाबे-वतन। ईद के दिन भी यहां क़त्ल हुआ करते हैं।। गुज़रा हुआ ज़माना हो या पल-पल गुज़र कर इतिहास बनता ये वर्तमान,इसे जानने के लिये इतिहास की नहीं साहित्य की ज़रूरत है। क्योंकि साहित्य आम आदमी का इतिहास है, इसलिये जो शेर (शायरों के नाम मुझे मालूम नहीं वरना ज़रूर लिखता) दिमाग़ में कौंध रहे हैं वो शायद आप सबके सामने आना चाहते हैं मैं यही सोच के उनका माध्यम बन रहा हूं। ये सच है कि समाज कोई भी हो एक दिन का करिश्मा नहीं होता। सदियों में उसकी नींव मज़बूत होती है। यही हाल हमारी गंगा-जमनी तहज़ीब का भी है। किसी भी दूसरे देश में ईद और दीवाली को वर्गों में बांट कर देखा जा सकता है लेकिन हमारी परंपराओं में ये त्योहार किसी समुदाय का नहीं, हमारा है, हम देशवासियों का है। वो कहते हैं न कि जो चीज़ ख़ूबसूरत होती है उसे लोगों की नज़र लग जाती है। यही हो रहा है हमारी सांझी विरासत के साथ। इसे दुनिया की नज़र लग गई है। हमारी इसी दुनिया में ईद किस तरह होती रही है आइये शेरों के ज़रिये इसका लुत्फ़ उठाते हैं। आरंभ उस शेर से जिसमें ईद की अहमियत को मानवता के मूल्यों पर परखने का जज़्बा है- किसी का बांट ले ग़म और किसी के काम आयें, हमारे वास्ते वो रोज़े- ईद होता है।। होली ही की तरह ईद भी त्योहार है गले मिलने का। यक़ीन मानिये जादू की ये झप्पी न जाने कितने गिले शिकवे मिटा देती है। लेकिन जनाब, ख़ुशी के साथ ग़म की टीसें जब मिलती हैं तो दर्द का मज़ा दुगना हो जाता है। त्योहार तो उनका भी है जो बिरह की आग में जल रहे हैं। एक आशिक़ की सर्द आहों में ईद का ये मज़ा यूं सजता है। मुझको तेरी न तुझे मेरी ख़बर आयेगी। ईद अबकी भी दवे पांव गुज़र जायेगी।। ये तो बात है उनकी जिनकी क़िस्मत में मिलना नहीं नसीब लेकिन ऐसे भी आशिक़ कम नहीं जिनके लिये ईद का त्योहार उम्मीदों के पंख लगा के आता है। ज़रा मुलाहिज़ा कीजिये इनकी फ़रियाद- ये वक़्त मुबारक है मिलो आके गले तुम। फिर हमसे ज़रा हंस के कहो ईद मुबारक।। ये लीजिये ये आशिक़ साहब तो जल-भुन कर ख़ाक हुए जा रहे हैं। लगता है इनकी तमन्नाओं के पूरा होने का वक़्त अभी नहीं आया है- ब-रोज़े ईद मयस्सर जो तेरी दीद नहीं। तो मेरी ईद क्या, अच्छा है ऐसी ईद न हो।। या फिर ये शेर- जिनकी क़िस्मत में हो हर रोज़ सितम ही सहना। ईद, बतला कि तू उनके लिये क्या लाई है।। मुझे आज भी याद है कि मैं बचपन में प्रेमचंद की कहानी ईदगाह पढ़कर ख़ूब रोया करता था। हमीद के सारे दोस्त खिलौने ख़रीद रहे थे लेकिन हमीद को तो वो चिमटा ख़रीदना था जो उसकी मां के हाथों को जलने से रोक सके। इस शेर में भी एक ग़रीब के घर ईद की अगवानी देखिये- ईद आती है अमीरों के घरों में, बच्चों। हम ग़रीबों को भला ईद से लेना क्या है।। अब इतने शेरों में वो शेर कैसे कोई भूल सकता है जो ईद के दिन हर महफ़िल में किसी न किसी के मुंह से ज़रूर निकल पड़ता है- ईद का दिन है गले आज तो मिल लो जानम। रस्में दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।। ईद का दिन यक़ीनन सबकी ख़ुशियों का दिन है, उनके लिये तो और भी ख़ुशी का दिन है जिन्होंने 30 दिन तक संयम की परीक्षा दी है। लेकिन कुछ लोगों के लिये ख़ुशियों का ये दिन आम दिनों के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा जल्दी गुज़रता हुआ प्रतीत होता है, तभी तो किसी ने कहा है- ईद का दिन और इतना मुख़्तसर। दिन गिने जाते थे जिस दिन के लिये।। शेरों की ज़बानी हमारी ये गुफ़्तुगू आपको कैसी लगी। मेरी कोशिश तो यही थी कि आपको ईद से संबधित कुछ अशआर सुनाऊं और लुत्फ़अंदोज़ करूं। हो सकता है कि मेरी ये कोशिश बेकार चली गई हो लेकिन चलते चलते किसी का ये शेर आपको ज़रूर सुनाऊंगा, ऐसा लग रहा है जैसे शायर मेरे दिल की बात कह रहा है- हों मबारक तुमको ख़शियां ईद के मेरे अज़ीज़। जब किसीसे ईद मिलना याद कर लेना मुझे।।ईद मुबारक
Sunday, 25 June 2017
Saturday, 24 June 2017
जैन समाज की तरफसे श्री प्रशान्त झावेरी ऐम आई पटेल का सम्मान कर रहे है। एक आदमी रात को झोपड़ी में बैठकर एक छोटे से दीये को जलाकर कोई शास्त्र पढ़ रहा था । आधी रात बीत गई जब वह थक गया तो फूंक मार कर उसने दीया बुझा दिया । लेकिन वह यह देख कर हैरान हो गया कि जब तक दीया जल रहा था, पूर्णिमा का चांद बाहर खड़ा रहा । लेकिन जैसे ही दीया बुझ गया तो चांद की किरणें उस कमरे में फैल गई । वह आदमी बहुत हैरान हुआ यह देख कर कि एक छोटे से दीए ने इतने बड़े चांद को बाहर रोेक कर रक्खा । इसी तरह हमने भी अपने जीवन में अहंकार के बहुत छोटे-छोटे दीए जला रखे हैं जिसके कारण परमात्मा का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है । जबतक वाणी को विश्राम नहीं दोगे तबतक मन शांत नहीं होगा। मन शांत होगा तभी ईश्वर की उपस्थिति महसूस होगी ।.....
Friday, 23 June 2017
Posted by Muslim Friend... *Mumbai – A world in its own* Date: 1st June 2017, it was 6:20 PM at Andheri station. I boarded a 6:22 PM Virar slow train which originates from Andheri. Soon the train got crowded. The signal turned green and the journey began with a sound of a horn. I was standing to the right of the corridor in between the doors facing the west side. To my extreme left I found a short guy with long beard, wearing a Kurta payjama and a small bag resting on his left shoulder. This short man was struggling to catch the handles, because it was above his reach. Two stations passed and everything was smooth until Goregaon. Since it was 'peak hour', the train got over-crowded at Goregaon. He started to tussle because he wanted to get down at the next station (Malad). This is the most horrible thing to do in a Virar train during peak hours. He asked people to give some space but his plead was put to deaf ears. Some of them started with the same old dialogue “Malad utarnaa hai toh Borivali train pakadne kaa thaa, abhi chalo Dahisar” (You should have boarded a Borivali train to get down at Malad, now get down at Dahisar). Dahisar is a station next to Borivali and 3 stations from Malad. The short man was helpless and so were others. Then someone sensed with his appearance that he was Muslim and may be fasting since it is a Month of Ramadan. He asked the guy if he was fasting. The short guy replied affirmative With 30 minutes remaining to break his fast. Soon the news of his fasting spread and from nowhere people started to adjust and make way for him to get down at Malad. It turned out that he did not have to go through the hardship of getting down 3 stations further and come back. Some of them were also concerned that he should not miss his "closure of fast" and reach home on time. Finally the train entered Malad station and the short guy was able to get down with his hand bag. He was thankful to everyone who helped him. This entire episode made one thing very clear, whatsoever is going on around the world, the *spirit of Mumbai will never die.* We live, we respect, we let others live, even if we have differences. And when it comes to help, when someone is in need, we do our best to help them. This may be a very small episode, but being a Muslim myself, it was inspirational for me and a proud moment for having such lovely people around us. CB... *I'm Proud TO be an Indian.*
Thursday, 22 June 2017
Salams, Patiently endure your trials and be thankful for your situation, for we cannot see the outcome of everything we experience. Only Allah knows why we are going through our circumstance and only Allah knows how it is affecting us. It may seem as though we’re deteriorating, but maybe the pain is not deterioration. It is simply us tearing out of our old shell only to come out cleaner, fresher and more polished. Maybe we will look at the world from a better perspective after it’s over. The harder the climb, the better the view. The harder the trial, the better the reward. Have a spiritually blessed Jummah. Please remember me, my family and the entire Ummah in your duas. Wassalam'Khair.
There is a specific trend to apologize especially on Islamic 15 Shaban and 27 Ramdan and other Islamic festival “I am sorry if I hurt you intentionally or unintentionally“…. or ….”Today …forgive me before my NAMA-E-AMAL ( book of deeds) will be given to Allah“… The big question is why or why don’t we apologize as soon as we realize our mistake. Why do we wait only for the big nights & then apoogise? Aиϑ that too, instead of asking for a personal apology , we send a mass message to all our contacts. Now u might say at least we are apologizing..... Mind u, just apologizing by sending a text won’t affect anything. Ur one mere text will definitely not make the other person forget what u did! It doesn't matter how flowery ur BBM / whatsapp apology is, but if u still don't get why u need to apologise or have even a tinge of malice or ill- feelings for that person deep within ur heart, ur apology will be just empty, fake words. Both ur words & deeds should portray that u really are sorry. The way to do this is to clean ur heart first. Admit to urself that u definitely wronged the other person & it is for ur own benefit when u humble urself & ask him/ her sincerely . Proper apologies have three parts: 1 ) What I did was wrong. 2 ) I’m sorry that I hurt u. 3 ) How do I make it better? If ur apology is sincere for the pleasure of اللّه Subhana Ta'ala with no ulterior motives, u will feel a lightness within u as if u are set free. What do u think? Will these FAKE messages that we send around help us go into Jannah? Let's spare a few minutes to reflect how we might have hurt or harmed others & then let's think about the day we will stand before اللّه Subhana Ta'ala without any good deeds to our name all because we never took the time or felt it beneath us to apologise. O my Rabb, if I hurt others, give me the strength to apologize. If people hurt me, give me the strength to forgive & once I've forgiven enable me to forget so that I may never bring it up again. آمـــــــــين يا رب العالمـــــــــين 🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹
There is a specific trend to apologize especially on Islamic 15 Shaban and 27 Ramdan and other Islamic festival “I am sorry if I hurt you intentionally or unintentionally“…. or ….”Today …forgive me before my NAMA-E-AMAL ( book of deeds) will be given to Allah“… The big question is why or why don’t we apologize as soon as we realize our mistake. Why do we wait only for the big nights & then apoogise? Aиϑ that too, instead of asking for a personal apology , we send a mass message to all our contacts. Now u might say at least we are apologizing..... Mind u, just apologizing by sending a text won’t affect anything. Ur one mere text will definitely not make the other person forget what u did! It doesn't matter how flowery ur BBM / whatsapp apology is, but if u still don't get why u need to apologise or have even a tinge of malice or ill- feelings for that person deep within ur heart, ur apology will be just empty, fake words. Both ur words & deeds should portray that u really are sorry. The way to do this is to clean ur heart first. Admit to urself that u definitely wronged the other person & it is for ur own benefit when u humble urself & ask him/ her sincerely . Proper apologies have three parts: 1 ) What I did was wrong. 2 ) I’m sorry that I hurt u. 3 ) How do I make it better? If ur apology is sincere for the pleasure of اللّه Subhana Ta'ala with no ulterior motives, u will feel a lightness within u as if u are set free. What do u think? Will these FAKE messages that we send around help us go into Jannah? Let's spare a few minutes to reflect how we might have hurt or harmed others & then let's think about the day we will stand before اللّه Subhana Ta'ala without any good deeds to our name all because we never took the time or felt it beneath us to apologise. O my Rabb, if I hurt others, give me the strength to apologize. If people hurt me, give me the strength to forgive & once I've forgiven enable me to forget so that I may never bring it up again. آمـــــــــين يا رب العالمـــــــــين 🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹
माननीय उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्य्क्ष श्री राज बब्बर जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई। समस्याओं को रास्तों से निकाल दे , चट्टान भी हो तो ठोकर से उछाल दे । रख हिम्मत तूफानों से टकराने की, जरूरत नही है किसी मुसीबत से घबराने की। जो पाना है बस उसकी एक पागल की तरह चाहत कर, करता रह कर्म मगर साथ में खुदा की इबाबत भी करो फिर देख किस्मत क्या क्या रंग दिखलाएगी , तुझको तेरी मंजिल मिल जाएगी... Gm......
જીવતાં હોય ત્યારનાં નાટક છે બધાં.. બાકી મોત સામે આવે છે ત્યારે કાંઇ સૂજતું નથી.. ૧૦૮/એમ્બ્યુલન્સનાં ડ્રાઇવરને કેમ કોઇ પૂછતું નથી, તું કેવો છો, કઇ જાતિનો છો..?!?!?!?!?😷😷😷👍 બ્લડ બેંકમાં કેમ એમ નથી કહેતાં કે મારે તો ઉચ્ચ જાતિવાળાનું, સવર્ણનું જ લોહી જોઇએ.. ઓર્ગન ડોનર ની જરૃરીયાત હોય તો પૂછો છો કે કીડની, લીવર, હૃદય, બોન્સ , આંખો, (હવે તો ચામડી પણ ડોનેટ થાય ) કઇ જાતિના માણસ ની છે! ?!?!?!?? તમારી સારવાર કરનાર ડૉક્ટરને કેમ એવું નથી કહેતાં કે ભાઇ તું કોઇ નિચી જાતમાંથી આવતો હોય તો મને હાથ ના અડાડતો... Just Believe in Humanity સુખ વહેંચવા સંગત જોઇએ.., દુ:ખ વહેચવા તો અંગત જ જોઇએ...!!☝ પતંગ ક્યાં કોઈ દી કપાય છે.., એતો દોરી ના લીધે બદનામ થાય છે..! નાના માણસનો હાથ પકડી રાખજો. ... જીવન મા કયારેય મોટા માણસના પગ પકડવા નહી પડે. ..... *પગ માથી કાંટૉ નીકળી જાય તો ચાલવાની મજાઆવે*...... !! *મન માથી અહંકાર નીકળી જાય તો જીંદગી જીવવાની મજા આવી જાય*...!! પસંદ આવ્યુ હોય તો શેર જરુર કરજો
Du'aa for all my friends and family on this auspicious day of Khatme Qur’an..... May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى record your name amongst those who will be forgiven. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى accept all your Du'as and widen your Rizq with lots of Barakah. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى grant you the strength to fulfill your obligations to the best of your ability and confirm your entry into JANNAH. Insha'Allah! May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى remove all your difficulties and ease all your tasks. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى answer from His infinite mercy, all that you need and ask for, from the dreams of your heart to the prayers on your lips, to your every expectation and aspiration you have. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى protect and guide you; and keep you safe from all calamities. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى grant you success and elevate your status in both this world and the Hereafter. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى grant you Halaal Rozi and fill you with Noor. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى grant you,your family and your friends good health and strength and a long prosperous life. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى remove all your difficulties and ease all your tasks. May اللَّه سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى make you a shining example of a true Muslim and an inspiration for others to follow. Insha-Allah. Aameen! آمين يا رب العالمين
Wednesday, 21 June 2017
तीन दोस्तों का कार में एक्सीडेंट हो गया। एक अजनबी मौके पर पंहुचा। वो सहायता करना चाहता था। लेकिन उसके पास फोन नहीं था। कार में 6 स्मार्टफोन मिले लेकिन सभी पर स्क्रीन लॉक था। परिणाम ये हुआ कि वो तीनो मारे गए। एक गर्भवती महिला आँगन में गिर गयी। घर पर मोजूद इकलोती बेटी को कुछ समझ नहीं आया। लेकिन अचानक उसने अपनी माँ को सांस के तडपते देखा। बेटी ने पापा को फोन करने के लिए अपनी माँ का फोन उठाया । लेकिन फोन में पासवर्ड था और परिणामत: उसकी माँ वही खत्म हो गयी। गलती किसकी थी ? दोस्तों, प्यारो, मेरे अपनों, पाठको..... मेरी सलाह ये ही है कि आप अपने फोन की जानकारियों से बहुत ज्यादा कीमती हो। खुद के लिए भी और अपनों के लिए भी कीमती हो। इसलिए केवल अपने Whats UP, Text Massege, Facebook, Files इत्यादि पे ही पासवर्ड या लॉक रखें। स्क्रीन लॉक को Disabled रखे। Dialer और कांटेक्ट को Unlock रखे। मेरी मानो तो ये काम अभी तुरंत करो। इस से शायद आप एक दिन अपनी या अपने प्यारो और चहेतो की जान बचा सको। ध्यान रखो आपके फोन का पासवर्ड आपका डेथ वारंट भी हो सकता है। #Think_Twice #Worth_Sharing परिस्थितियों के प्रति Sympathy दिखाने से बेहतर जागरूकता लाना वास्तविक मानवता है। अच्छा लगे तो शेर करना Share_करो
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